ब्रैम्पटन,२१ जुलाई। कैनेडा में खालिस्तान समर्थक आतंकियों के हौसले बढ़ते ही जा रहे हैं। ये कट्टरवादी निरंतर भारतीय प्रतीकों तथा भारतीय समुदाय को निशाना बना रहे हैं। यही नहीं देश में रह रहे शांतिप्रिय हिंदू समुदाय के मंदिरों को भी कई बार निशाना बनाकर उन्हें निरूपित किया गया है। हाल ही में मारे गए आतंकी निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तान समर्थकों ने भारत के कॉन्सुलेट जनरल और हाई कमिश्नर को भी धमकी देने का दुस्साहस किया था। निरंतर हो रही इन घटनाओं पर भारतीय समुदाय तथा भारत सरकार के आग्रह और चेतावनी के बावजूद कैनेडियन सरकार के कानों पर जूं नहीं चल रही है।
कैनेडियन सरकार की इन्हीं ढुलमुल तथा संरक्षण वादी नीतियों का परिणाम है कि खालिस्तान समर्थकों के एक समूह ने १६ जुलाई को माल्टन के एक गुरुद्वारे के बाहर फुटबॉल की तरह खेलकर भारतीय ध्वज का अपमान किया। इस घटना की भारत सरकार और सिख समुदाय ने निंदा की है और कैनेडियन सरकार से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
प्रदर्शनकारी कथित तौर पर सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) समूह के सदस्य थे, जो भारत में प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। एसएफजे खालिस्तान नामक एक स्वतंत्र सिख राज्य के लिए अभियान चला रहा है और उस पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है।
भारत सरकार ने मांग की है कि कैनेडियन सरकार एसएफजे जैसे सभी कट्टरवादी संगठनों और उनके सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करे। हालाँकि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चिंताओं का हवाला देते हुए, कैनेडा सरकार अब तक ऐसा करने में अनिच्छुक रही है।
इस घटना ने खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कैनेडा के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है। भारत सरकार ने चेतावनी दी है कि वह अपनी संप्रभुता को कमजोर करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेगी, और कहा है कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी।
भारतीय ध्वज देश की संप्रभुता और एकता का प्रतीक है। माल्टन की घटना एक गंभीर उकसावे वाली घटना है और यह महत्वपूर्ण है कि कैनेडियन सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे। अब देखने वाली बात होगी कि अपने वोट बैंक को लेकर ज्यादा सजग रहने वाली मजबूर और कमजोर जस्टिन ट्रूडो सरकार इन कट्टरवादी संगठनों के आगे आत्मसमर्पण करती है या इनके खिलाफ कार्रवाई कर अपने मजबूत होने का परिचय देती है।
