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Political tussle started after Odisha train accident

ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद सियासी घमासान शुरु

कोलकाता, ०५ जून। ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद रेल व्यवस्था को लेकर तमाम सवाल उठ रहें हैं। वहीं अगर बात बंगाल की करें तो उक्त हादसे में अबतक इस राज्य के ३५ लोगों की मौत हो चुकी है। हादसे को लेकर जहां पूरा बंगाल गम में डूबा हुआ है वहीं इसे लेकर सियासी घमासान शुरू गया है। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी द्वारा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगे जाने के बाद ओडिशा ट्रेन हादसे को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। अभिषेक बनर्जी की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सवाल किया कि रेल मंत्री के रूप में ममता बनर्जी ने मई २०१० में पश्चिम बंगाल के झाडग्राम में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा क्यों नहीं दिया था। जिसमें १५० लोग मारे गए थे। अधिकारी ने कहा, इस तरह की त्रासदी पर राजनीति करने से पहले ममता बनर्जी को कुछ आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। अधिकारी के जवाब में, राज्य तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के समय सुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के साथ थे। घोष ने कहा, उनकी टिप्पणियां आमतौर पर अर्थहीन होती हैं। रेल मंत्री के तत्काल इस्तीफे की मांग करते हुए अभिषेक बनर्जी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री अक्सर डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन एंटी-कोलिजन सिस्टम की उपेक्षा की गई। अगर यह व्यवस्था होती तो इस तरह की दुर्घटना से बचा जा सकता था। इस मामले की जांच के लिए एक अलग आयोग का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू करने का श्रेय लेने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, तो वह इस दुर्घटना की जिम्मेदारी क्यों नहीं ले रहे हैं।भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लोकसभा सांसद दिलीप घोष ने कहा कि प्रधानमंत्री का दुर्घटनास्थल पर पहुंचना साबित करता है कि वह अपने काम को लेकर कितने गंभीर हैं। उन्होंने कहा, इससे पहले भी कई बार ट्रेन दुर्घटनाएं हुई हैं। लेकिन मुझे याद नहीं है कि कोई अन्य प्रधानमंत्री दुर्घटनास्थल पर पहुंचा हो, जो नरेंद्र मोदी ने किया। ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक थे। यह शर्म की बात है कि ममता बनर्जी के शासन में रोजगार सृजन की स्थिति इतनी दयनीय है कि हजारों लोगों को अपनी आजीविका के लिए और कहीं जाना पड़ता है।वहीं, सीपीआई के सांसद बिनॉय विश्वम ने ट्वीट किया कि सरकार का फोकस सिर्फ लग्जरी ट्रेनों पर है, आम लोगों की ट्रेनों और पटरियों की उपेक्षा की जाती है, ओडिशा में मौतें उसी का नतीजा हैं, रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। फिलहाल रेलवे प्रशासन ये पता करने में जुटा है कि आखिर ये हादसा कैसे हुआ? क्या ये मानवीय भूल थी या फिर कोई तकनीकी खराबी? अब तक की जानकारी के मुताबिक इस हादसे की वजह सिग्नल की खराबी बताई जा रही है, लेकिन सच्चाई क्या है ये जांच के बाद ही पता चलेगा।

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