इलेक्ट्रिक वाहनों के दौर में अगर किसी शहर के निवासी इन वाहनों पर रोक लगाने के पक्ष में मतदान करें, तो स्वाभाविक है कि उसकी तरफ सबका ध्यान खिंचेगा। इसीलिए यह खबर चर्चित हुई है कि फ्रांस की राजधानी पेरिस के लोगों ने ई-स्कूटरों को बैन करने के पक्ष में मतदान किया है। वैसे इसको लेकर बहस जारी है, क्या मतदान का यह नतीजा सचमुच पेरिसवासियों के बहुमत की राय है। इस बहस का कारण यह तथ्य है कि हर दस में से सिर्फ एक मतदाता ने ही मतदान में हिस्सा लिया। मगर नगर के नियमों के मुताबिक शहर प्रशासन को इस फैसले को लागू करना होगा।
दरअसल, बीते रविवार को पेरिस में इस सवाल पर मतदान कराया गया कि क्या किराये के लिए उपलब्ध ई-स्कूटरों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। ८९ प्रतिशत मतदाताओं ने प्रतिबंध के पक्ष में मतदान किया, जबकि सिर्फ ११ प्रतिशत ने इसका विरोध किया। यह नतीजा बताता है कि भले मात्र दस प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया, लेकिन पेरिस में बड़ी संख्या में लोगों की राय ऐसे वाहनों के ख़िलाफ़ है।
२०२४ में पेरिस में ओलिंपिक खेल होने हैं। उसके पहले ई-स्कूटरों को लेकर विवाद उठा है, क्योंकि बहुत से लोग इन्हें परेशान करने वाला परिवहन साधन बताते हैं। वे इन्हें ‘तनाव और चिंता की वजह’ मानते हैं। ई-स्कूटरों के विरोधी कहते हैं कि इनका आम तौर पर पर्यटक इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें शहर के बेहद व्यस्त ट्रैफिक से निपटना नहीं आता और वे ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हैं। २०२२ में पेरिस शहर में ४५९ ऐसे हादसे दर्ज हुए, जिनमें ई-स्कूटर शामिल थी। इन हादसों में तीन लोगों की जान गई।
एक बहस यह भी है कि ई-स्कूटर पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं या नहीं। इन वाहनों के समर्थकों का कहना है कि ई-स्कूटरों ने कम-से-कम २० फीसदी ऐसी यात्राओं को कम किया है, जो जीवाश्म (फॉसिल) ईंधन के जरिए की जाती थीं। लेकिन आलोचक कहते हैं कि इन स्कूटरों का इस्तेमाल ज्यादातर वे लोग करते हैं जो पहले पैदल जाते थे या फिर साइकल अथवा सरकारी परिवहन का उपयोग करते थे। यानी इनसे कार्बन उत्सर्जन कम नही हुआ है।



