नई दिल्ली,१० मार्च। भारत में वित्त मंत्रालय तथा रिजर्व बैंक की कवायद रंग लाती नजर आ रही है। पिछले कुछ वर्षों में लागू की गई नीतियों के कारण बैंकों के एनपीए में गिरावट देखने को मिल सकती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों का सकल बुरा फंसा कर्ज यानी एनपीए ३१ मार्च, २०२४ तक एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच सकता है। यह ०.९० फीसदी कम होकर पांच फीसदी से भी नीचे जा सकता है। एसोचैम और क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार ३१ मार्च, २०१८ में इसका स्तर १६% तक पहुंच चुका था जो कि अब आगे जाकर कम होगा।
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