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अब रेड सी यानी लाल सागर भी बना जंग-ए-मैदान

इजराइल-हमास युद्ध ७०वें दिन में प्रवेश कर चुका है और हर दिन और गंभीर रूप लेता जा रहा है। इस बीच, यमन के विद्रोही संगठन हूती ने लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर हमले शुरू कर दिए हैं। ईरान समर्थित इन विद्रोहियों का कहना है कि वे फिलिस्तीनियों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए यह कर रहे हैं। उन्होंने धमकी दी है कि वे इजराइल जाने वाले और इजराइल से आने वाले हर उस जहाज पर हमला करेंगे जो गाजा के लिए मानवीय सहायता सामग्री लेकर नहीं जाएगा।
१५ दिसंबर के बाद से ये हमले बढ़ गए हैं – हूतियों ने एक जहाज पर हमले की धमकी दी, दूसरे पर ड्रोन से हमला किया और तीसरे को दो बैलिस्टिक मिसाइलों का निशाना बनाया।
इन घटनाओं का नतीजा यह हुआ कि दुनिया की पांच सबसे बड़ी कंटेनर और शिपिंग कपंनियों में से चार – सीएमए सीजीएम, हपाग-लॉयड, मर्स्क और एमएससी – ने लाल सागर में अपने जहाजों की आवाजाही या तो रोक दी है या स्थगित कर दी है। ये चारों कंपनियां मिलकर दुनिया भर के कंटेनर परिवहन में ५३ प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती हैं। छोटे कंटेनर आपरेटर, ड्राई बल्क केरियर और आइल टेंकर कंपनियां भी अब ऐसे ही कदम उठा सकती हैं। इस संकट से विश्व अर्थव्यवस्था में उथलपुथल पैदा हो सकती है।
इस से लाल सागर में माल परिवहन असंभव हो गया है। आर्थिक दृष्टि से इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव मिस्र पर होगा। बाकी दुनिया के लिए इसका नतीजा यह होगा कि जहाजों को अब अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाकर जाना होगा जिसका अर्थ है अधिक समय, अधिक व्यय और बीमा प्रीमियम में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी।
मध्यपूर्व का संकट गहराने लगा है और उसका प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय संबंधो और अर्थव्यवस्था पर पडऩे लगा है। अमरीका और इजराइल दोनों पर विश्व समुदाय दबाव डाल रहा है, विशेषकर इजराइल पर। जहां अमरीका गाजा युद्ध में ढील देने का दबाव डाल रहा है वहीं हिज़बुल्ला को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। हिज़बुल्ला करीब-करीब हर दिन इजराइल पर मिसाइलों से हमले कर रहा है। यदि ईरान और उसके हूती समर्थक दुनिया के एक सबसे बड़े व्यापारिक मार्ग को बंद रखते हैं तो नए साल में हालात और ज्यादा बुरे हो सकते हैं।

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