हाल ही में आए भूकंप ने मोरक्को को दहला दिया है। मोरक्को के अल होज़ प्रांत में हजारों लोग मारे गए वहीं पहाड़ी इलाकों में बसे कई गांव पूरी तरह नष्ट हो गए। सबसे बुरी बात यह है कि देश के लोग अंतर्राष्ट्रीय मीडिया से कह रहे हैं कि उनकी कोई चिंता करने वाला नहीं है। भूकंप की रात देश के सम्राट मोहम्मद षष्ठम पेरिस में थे, जहां उनका ज्यादातर वक्त बीतता है। उन्हें स्वदेश लौटने और सार्वजनिक वक्तव्य जारी करने में पूरा एक दिन लग गया। शनिवार की देर शाम उन्हें टीवी पर एक कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिखाया गया, लेकिन बिना आवाज के, अर्थात वीडियो म्यूटेड था।
मंगलवार को वे एक अस्पताल गए और उन्होंने रक्तदान किया। वे मारूकेश भी गए जो भूकंप-पीडित क्षेत्र के नज़दीक स्थित बड़ा शहर है। लेकिन उन्हे भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित अल होज़ प्रांत जाने के बारे में कुछ नहीं बताया गया। मोरक्को के अधिकारियों का कहना है कि वे संकट का सामना करने में जुटे हुए हैं और जरूरत पडऩे पर मदद की गुहार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सम्राट का मार्गदर्शन उन्हें शुरू से ही मिल रहा है। लेकिन विनाश की पीड़ा झेल रहे इलाके में उनकी गैर-मौजूदगी, पीड़ितों के साथ उनके खड़े नहीं होने, और जनता को अपने साथ का विश्वास न दिलाने के लिए उनकी आलोचना हो रही है। इस आलोचना में आक्रोश भी है और पीड़ा भी।
मोरक्को और सऊदी अरब दोनों इस्लामिक देश हैं। दोनों में राजशाही है। लेकिन वे एक-दूसरे से एकदम अलग हैं। एक तरफ हैं एमबीएस जो विश्व के रंगमंच पर अपने देश की मार्केटिंग करते नजर आते हैं और देश की जनता के लिए नए-नए व्यवसाय लाते हैं और देश के लोगों को गौरवान्वित महसूस करने के मौके उपलब्ध कराते हैं। दूसरी ओर हैं मोहम्मद षष्टम जो उस वक्त भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं जब उनके देश को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। मोरक्को की जनता पहले से ही बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और देश व्यापी सूखे से परेशान है और अब उन्हें भूकंप से जुड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि मोहम्मद षष्टम एज़ेटार भाईयों के चंगुल से बाहर नहीं निकलते तो इस बात की संभावना है कि सेना उनका तख्ता पलट दे। उनके सुरक्षा प्रमुख पहले भी दो बार उन्हें सत्ता से हटाने का प्रयास कर चुके हैं।
