न्यूयॉर्क ,१० नवंबर। वैश्विक प्रगति में भारत का योगदान बढ़कर २०२२ में १५ प्रतिशत हो गया और २०२३-२८ में इसके १७ प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इससे पहले २०२१ में भारत का योगदान मात्र १० प्रतिशत था। ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, अमेरिकी डॉलर के आधार पर, हम उम्मीद करते हैं कि भारत की सांकेतिक जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष २०२५ तक बढ़कर १२.४ प्रतिशत तक पहुंच जाएगी और यह चीन, अमेरिका और यूरो क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह वित्तीय वर्ष २०२४ में सात प्रतिशत रहेगी।
उच्च विकास दर का मतलब होगा कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगी। हमें उम्मीद है कि २०२७ तक सांकेतिक जीडीपी पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
इसमें कहा गया है, हमें उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष २०२४ में विकास दर ६.४ प्रतिशत और २०२५ में ६.५ प्रतिशत की मजबूत दर पर कायम रहेगी। यह २०२४ से २०२८ तक औसतन ६.६ प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
हालाँकि, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह वित्त वर्ष २०२१ की दूसरी तिमाही के ७० अरब डॉलर से घटकर २०२३ की दूसरी तिमाही में ३३ अरब डॉलर रह गया है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक जीडीपी और व्यापार वृद्धि में नरमी के साथ, वैश्विक एफडीआई प्रवाह में नरमी आई है।
