रांची, ११ जनवरी। झारखंड के झरिया में दशकों से जमीन के अंदर धधक रही आग और अनगिनत दरारों से उठते धुएं के बीच लाखों लोगों की जिंदगियां खतरे में हैं। झरिया में कोयला खदानों का संचालन करने वाली कंपनी बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लि) ने बीते सितंबर महीने में ही पूरे शहर को असुरक्षित घोषित करते हुए इसे खाली करने का नोटिस जारी किया था। अब केंद्र सरकार ने इस शहर की बड़ी आबादी को यहां से हटाकर सुरक्षित जगहों पर बसाने के प्रस्तावित संशोधित मास्टर प्लान पर एक बार फिर मंथन शुरू किया है।
आगामी २७ जनवरी को केंद्रीय कैबिनेट सचिव इस मसले पर हाई लेवल मीटिंग करेंगे। इसमें कोयला सचिव, झारखंड के मुख्य सचिव और कोयला कंपनियों बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लि) और ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लि) के आला अधिकारी भी भाग लेंगे। कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने बीते सोमवार को कोयला कंपनियों की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी।
आपको बता दें कि कोयले के भंडार के ऊपर बसे झरिया की भौंरा कोलियरी में वर्ष १९१६ में पहली बार आग लगी थी। इसके बाद धीरे-धीरे यहां के बाकी इलाकों में भी जमीन के अंदर आग फैलती चली गई। एक शताब्दी बाद भी यहां की आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। दर्जनों योजनाओं और बेहिसाब खर्च के बाद भी आग का दायरा लगातार बढ़ता गया। इलाके में भू-धंसान की हजारों घटनाएं हो चुकी हैं।
आखिरकार केंद्र और राज्य की सरकारों ने माना कि अग्नि प्रभावित और भू-धंसान वाले इलाके से लोगों को हटाकर दूसरी जगह पर बसाना ही एकमात्र उपाय है। इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की साझीदारी से इसके लिए मास्टर प्लान बनाकर इस पर वर्ष २००९ में काम शुरू हुआ था। ११ अगस्त २००९ को लागू हुए इस मास्टर प्लान की मियाद २०२१ के अगस्त महीने में खत्म हो गयी , लेकिन आग के मुहाने पर बैठी आबादी को स्थानातंरित करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया।
मास्टर प्लान के मुताबिक भूमिगत खदानों में लगी आग को नियंत्रित करने के साथ-साथ १२ साल बाद यानी अगस्त २०२१ तक अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए दूसरी जगहों पर आवास बनाकर उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाना था, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। आगामी २७ जनवरी को केंद्रीय कैबिनेट की ओर से बुलाई गई बैठक में मास्टर प्लान को रिवाइज करने पर निर्णय लिया जा सकता है।
