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बेलारूस में लुकाशेंको: मृत्युपर्यंत सत्ता

– श्रुति व्यास

रूस की कठपुतली बेलारूस में संसदीय चुनाव हो रहे हैं। इस देश में राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको का ३० सालों से एकछत्र राज हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित कर लिया है कि मौत के अलावा और कुछ भी उन्हें सत्ता बाहर नहीं कर सकता।
इतवार को वहां चुनाव हुए लेकिन लुकाशेंको की छाया में बेलारूसी लोगों को वोट डालने में शायद ही संतोष का अनुभव हुआ हो। वहां मताधिकार, अधिकार नहीं बल्कि एक उबाऊ कर्त्तव्य है। बेलारूसी टीवी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि ”यदि किसी को चुनाव उबाऊ लगते हों तो वह सर्कस, थियेटर और संगीत की महफिलों में जा सकता है”।
सन २०२० के राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको को चुनौती देने वाली बेलारूस की विपक्षी नेता स्वेतलाना तिश्कानोस्काया ने मतदाताओं से चुनाव का बहिष्कार करने का आव्हान किया था। पर उनकी किसी ने नहीं सुनी। इस बार, राष्ट्रपति ने एक कदम और आगे बढ़ कर, मतदान के न्यूनतम प्रतिशत का नियम भी खत्म कर दिया।
विदेश से मतदान करने पर पाबंदी लगा दी गई। लुकाशेंको ने यह सुनिश्चित कर लिया है कि कोई बाधा उनका रास्ता न रोक सके, खासतौर पर २०२० की शर्मिंदगी के बाद। उस समय उनकी सत्ता छिनने का खतरा पैदा हो गया था और वे राजनैतिक दृष्टि से लगभग खत्म हो गए थे।
सख्त शासन और चुनावों में धांधली करने के उनके एकाधिकार के बावजूद २०२० में देशवासी उनकी तानाशाही खत्म करने की ठाने हुए थे। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने स्वेतलाना तिश्कानोस्काया, जो एक पूर्व शिक्षिका हैं, और अपने ब्लागर पति की गिरफ्तारी के बाद उनके स्थान पर उम्मीदवार बनीं थीं, के प्रति लोगों ने जबरदस्त समर्थन जतलाया।
बेलारूस के बाहर बहुत से लोगों का मानना है कि उस चुनाव में असल में स्वेतलाना की जीत हुई थी। लेकिन हकीकत को हर व्यक्ति मंजूर करे यह जरूरी तो नहीं। और लुकाशेंको के लिए तो यह बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है। उन्होंने सड़कों और घरों से लोगों को उठवा लिया। उनके डर के चलते लोग बेलारूस छोड़कर भागने को मजबूर हुए। इनमें स्वेतलाना भी थीं। व तब से ही पड़ोसी लिथुआनिया में निर्वासित जीवन जी रही हैं।
बेलारूस में अलेक्जेंडर लुकाशेंको की तूती बोलती है। यह उनका गढ़ है – ‘लुको लेंड’ है। लेकिन २०२० के बाद से उनकी मनमर्जी पर डर और असुरक्षा का भाव हावी है। इस समय करीब १४,००० लोग सियासी आरोपों में जेल में हैं। स्वेतलाना के पति और लोकतंत्र-समर्थक मारिया कोलेसेनिकोवा का बाहरी दुनिया से संपर्क कटा हुआ है।
पिछले महीने ३०० से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। सिविल सोसायटी पूरी तरह खत्म कर दी गई है। मीडिया खत्म सा है। किसी भी तरह की असहमति या विरोध बर्दाश्त नहीं। २०२० से अब तक करीब एक-चौथाई वकीलों के लाईसेंस रद्द हुए हैं।
लुकाशेंको के समर्थक चार राजनैतिक दलों के अलावा सभी दलों पर या तो प्रतिबंध लगा दिया गया है या उन्हें भंग कर दिया गया है। उन्होंने ऐसे कानून भी पारित करवा लिए हैं जिनके अनुसार सरकार को निर्वासित जीवन बिता रहे बेलारूसियों की नागरिकता छीनने और उनके पासपोर्टों के नवीनीकरण पर रोक लगाने का अधिकार है।
जाहिर है कि ऐसे लोग किसी भी देश के नागरिक नहीं रह जाएंगे। पिछले महीने उन्होंने एक नए कानून पर हस्ताक्षर किए जिसके जरिए उन्हें आजीवन कानूनी सुरक्षा मिल गई है। यदि वे कभी सत्ता त्यागने का फैसला करें तो भी उनके खिलाफ कोई मुक़दमा नहीं चलाया जा सकेगा।
लुकाशेंको के सरंक्षक, मित्र पुतिन है, जो उनकी तानाशाही का समर्थन और उनकी सराहना करती है। एक समय था जब ये दोनों एक दूसरे का चेहरा देखना पसंद नहीं करते थे। दोनों सोवियत संघ के दुबारा एकीकरण के पक्षधर थे और सोवियत संघ के बिखरने से दु:खी थे।
लुकाशेंको, बेलारूस के तब एकमात्र सांसद थे जिन्होने सन् १९९१ में सोवियत संघ के विघटन के खिलाफ मतदान किया था। मगर सन् २०१४ में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने को लुकाशेंको ने ‘बुरी नज़ीर’ बताया – जिसे पुतिन ने पसंद नहीं किया।
बहरहाल २०२० में जब लुकाशेंको की सत्ता डगमगाई तो पुतिन ने विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए उन्हें डेढ़ अरब डालर दिए। रूस से कम ब्याज दर पर मिले कर्ज़ और ऊर्जा से बेलारूस की अर्थव्यवस्था बनी रही। कई सालों तक लगातार आई गिरावट के बाद २०२३ के शुरूआती नौ महीनों में बेलारूस की जीडीपी में ३.५ प्रतिशत का इजाफा हुआ। दोनों देश अपनी-अपनी ‘अतिवादियों’ की एक सम्मिलित सूची बना रहे हैं और अपनी-अपनी आर्थिक और सैन्य रणनीतियों को एकीकृत कर रहे हैं।
सन् २०२२ में लुकाशेंको ने रूस को बेलारूस के रास्ते यूक्रेन पर हमला करने की इजाजत दी थी। बेलारूस के विपक्षी नेताओं ने इस आशय के सुबूत इकठ्ठा किए हैं कि रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के शहरों से करीब २१०० बच्चों को जबरदस्ती बेलारूस भेजा गया था। लुकाशेंको ने वेगनर समूह के लड़ाकों की मेजबानी करने और रूसी परमाणु हथियारों की बेलारूस में तैनात करने के लिए भी सहमति दी।
इस सबसे यूरोप के ज्यादातर देशों और अमेरिका से लुकाशेंको के रिश्तों में कड़वाहट आई है। लेकिन वे न तो इसकी परवाह करते हैं ना ही उन्हें इसकी चिंता है, क्योंकि उन्हें रूस से सुरक्षा की गारंटी हासिल है। उन्होंने उत्तर कोरिया, ईरान और चीन के तानाशाहों की ओर भी दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।
बेलारूस के निवासियों को समझ आ रहा है कि लुकाशेंको क्या कर रहे हैं लेकिन उन्हें कोई हक़ ही नहीं हैं। रविवार को संसदीय मतदान के बाद लुकाशेंको को अविश्वसनीय और अभूतपूर्व ताकत हासिल हो गई है। अगले साल वहां राष्ट्रपति का चुनाव होना है और इतवार के चुनाव उसका ड्राई रन थे।

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