लखनऊ। अयोध्या में रेकी करते समय दो सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किए गए शंकर लाल दुसाद ने शुरू में खुद को भगवान राम का अनुयायी बताकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की।
एटीएस अधिकारियों ने कहा कि कथित तौर पर खालिस्तान से संबंध रखने वाले व्यक्ति ने अपनी एसयूवी पर भगवा झंडा लगाया था।
दुसाद और उनके दो सहयोगी, अजीत कुमार शर्मा और प्रदीप पुनिया को बुधवार रात को पकड़ा गया था।
एटीएस इंस्पेक्टर ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने लखनऊ के एटीएस पुलिस स्टेशन में तीनों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में घटनाओं का क्रम बताते हुए कहा, पूछताछ के दौरान, उन्होंने दोहराया कि वह राम लला के दर्शन के लिए आए थे, वह उनके बहुत बड़े अनुयायी हैं।
दुसाद को गुरुवार सुबह लखनऊ में यूपी एटीएस मुख्यालय लाया गया और दोपहर में पूछताछ की गई। लेकिन वह वही बात दोहराता रहा।
उसके ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा १२१-ए, ४१९, ४२०, ४६७, ४६८ के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
अधिकारी ने कहा कि दुसाद ने कैनेडा स्थित अन्य हथियार तस्कर लखविंदर सिंह लांडा और सुखविंदर सिंह सुक्खा के माध्यम से खालिस्तानी आतंकवादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू के साथ अपने संबंधों की बात कबूल की।
उन्होंने कहा कि दुसाद उनसे ऑर्डर लेने के लिए चैट एप्लिकेशन और इंटरनेट कॉल से लांडा और अन्य लोगों के साथ नियमित संपर्क में था।
एटीएस अधिकारियों ने कहा कि दुसाद को २१ मार्च, २०१६ से सात साल से अधिक समय बिताने के बाद १५ मई, २०२३ को सेंट्रल जेल, बीकानेर से जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि बीकानेर जेल में रहने के दौरान दुसाद ने खालिस्तानी समूहों के साथ संबंध बनाए, जब उसकी मुलाकात एक कैदी लखबिंदर सिंह से हुई, जिसने उसे अपने भतीजे पम्मा से मिलने के लिए कहा, जिसके माध्यम से वह कैनेडा स्थित खालिस्तानी नेता सुखबिंदर सिंह सुक्खा के संपर्क में आया।
