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कैनेडा का भारत के प्रति आक्रामक रुख

कैनेडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने भारत के खिलाफ अपने आक्रामक रुख को और आगे बढ़ाया है। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर नया प्रहार हुआ है। कैनेडा ने बीते हफ्ते इस आरोप की जांच शुरू कर दी कि २०२१ में वहां हुए आम चुनाव के नतीजों को भारत ने प्रभावित करने की कोशिश की थी। कैनेडा की जस्टिन ट्रुडो सरकार ने इस मामले में एक विशेष जांच आयोग बनाया है। अब इस आयोग ने कैनेडा सरकार से चुनावों में भारत के संभावित हस्तक्षेप के बारे में जानकारी मांगी है।
आयोग का गठन ट्रूडो ने सितंबर २०२३ में किया था। गौरतलब है कि उसी महीने ट्रुडो ने भारत पर कैनेडा की जमीन पर कैनेडियन नागरिक- खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का इल्जाम लगाया था। भारत ने लगातार उस आरोप का खंडन किया है।
जहां तक चुनाव में हस्तक्षेप का मुद्दा है, तो पहले ट्रुडो सरकार ने चीन पर इस सिलसिले में आरोप लगाए, जिसका चीन ने लगातार खंडन किया है। लेकिन आयोग जांच को आगे बढ़ा रहा है।
कैनेडियन प्रांत क्यूबेक की जज मारी-जोसी होग आयोग की अध्यक्ष हैं। उन्हें जिम्मेदारी दी गई थी कि वे चुनाव में चीन, रूस और अन्य देशों के संभावित हस्तक्षेप की जांच करें। अब इस सूची में भारत का नाम भी शामिल कर दिया गया है। जांच में भारत का नाम भारत विरोधी खालिस्तानियों को समर्थन देने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह की सलाह पर शामिल किया गया है।
आयोग को अगले तीन मई तक अंतरिम रिपोर्ट और साल के अंत तक अंतिम रिपोर्ट देने को कहा गया है। भारत सरकार ने अभी इस बारे में अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन चूंकि निज्जर मामले में यह सामने आया था कि उस मुद्दे पर अमेरिका और उसके कुछ दूसरे साथी देशों का समर्थन कैनेडा के साथ है, इसलिए इस मामले से भी भारत के सामने एक अंतरराष्ट्रीय चुनौती खड़ी होने की आशंका है। दरअसल, निज्जर का मामला तब तक उतना गंभीर मालूम नहीं पड़ता था, जब तक अमेरिका ने एक भारतीय अधिकारी पर उसकी जमीन पर खालिस्तानी उग्रवादी गुरपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप नहीं लगा दिया। इसलिए अंदेशा है कि कैनेडा का नया आरोप भी साझा पश्चिमी दबाव में तब्दील हो सकता है।

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