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जापान का पहला निजी उपग्रह प्रक्षेपण के कुछ सेकंड बाद ही फटा; जलता काइरोस रॉकेट कैमरे में कैद

टोक्यो। जापान की एक कंपनी ने रॉकेट निर्माण के बाद अंतरिक्ष में दस्तक की योजना बनाई थी। हालांकि, काइरोस नाम के इस रॉकेट के प्रक्षेपण के तत्काल बाद जोरदार धमाका हुआ। बुधवार को प्रक्षेपण के चंद सेकेंड बाद हुए विस्फोट के कारण परियोजना अधर में लटक गई है। जापान के सरकारी प्रसारक एनएचके के कैमरे पर काइरोस रॉकेट में धमारे की वीडियो फुटेज रिकॉर्ड हुई है। इस रॉकेट की मदद से एक सरकारी उपग्रह को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने की योजना थी।
रिपोर्ट के मुताबिक जापान की राजधानी टोक्यो से शुरू हुआ स्टार्टअप- स्पेस वन उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित करने के मामले में देश की पहली निजी कंपनी बनना चाहती थी। हालांकि, हादसे के कारण अरमानों पर पानी फिर गया है। खबरों के मुताबिक बुधवार को १८ मीटर लंबा रॉकेट काइरोस ठोस ईंधन के साथ प्रक्षेपित किया गया। पश्चिमी जापान के वाकायामा प्रान्त से लॉन्च किए गए इस रॉकेट की मदद से एक छोटे सरकारी परीक्षण उपग्रह को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया जाना था।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रक्षेपण के चंद सेकेंड के बाद ही रॉकेट आग की लपटों में घिर गया। लॉन्च पैड के आसपास काले धुएं का गुबार देखा गया। आग बुझाने के लिए स्प्रिंकलर की मदद ली गई और जलता हुआ मलबा आसपास की पहाड़ी और ढलान पर गिरता दिखा। हादसे के बाद जारी बयान में स्पेस वन ने कहा कि उड़ान को रद्द करने का प्रयास भी किया गया, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। कंपनी के मुताबिक हादसे के कारणों की जांच की जा रही है।
आकर्षक उपग्रह-प्रक्षेपण बाजार में दस्तक देने का प्रयास कर रहे जापान की निजी कंपनी को इस असफलता से बड़ा झटका लगा है। सरकार यह आकलन करना चाहती है कि क्या उसके मौजूदा जासूसी उपग्रहों में खराबी आने पर वह तुरंत अस्थायी और छोटे उपग्रहों को लॉन्च कर सकती है। काइरोस को उम्मीद थी कि प्रक्षेपण के लगभग ५१ मिनट बाद वह उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर देगा, लेकिन चंद सेकेंड बाद हुए धमाके के कारण मिशन असफल हो गया। इससे पहले पिछले साल जुलाई में एक अन्य जापानी रॉकेट में धमाका हुआ था। इंजन में परीक्षण के दौरान प्रज्वलन के लगभग ५० सेकंड बाद विस्फोट हुआ था।
आपको बता दें कि जापान में निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष कंपनी- स्पेस वन की स्थापना २०१८ में हुई थी। प्रमुख जापानी तकनीकी व्यवसायों की एक टीम ने इसकी नींव रखी। इसमें कैनन इलेक्ट्रॉनिक्स, आईएचआई एयरोस्पेस, निर्माण फर्म शिमिज़ु और जापान के सरकारी स्वामित्व वाले विकास बैंक का भी सहयोग मिला।

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