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इसरो के आदित्य एल-१ ने अंतरिक्ष में लगाई छलांग, नए ऑर्बिट में हुआ स्थापित

नई दिल्ली, ०४ सितंबर । भारत का पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल१ रविवार को दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया। इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने जानकारी साझा की। इसरो ने बताया कि आदित्य- एल१ ने आज पहली बार अपनी कक्षा बदल ली है। अब ये २३५१९५०० किलोमीटर की कक्षा से सफलतापूर्वक २४५२२४५९ किलोमीटर की कक्षा में पहुंच गया है। जिसे आदित्य-एल१ की सूर्य की ओर पहली छलांग भी कहना उचित होगा। आपको बता दें कि आदित्य-एल१ १६ दिनों के दौरान पांच बार अपनी कक्षा बदलेगा। उसके बाद ये एल१ पॉइंट की ओर छलांग लगाएगा। शनिवार को आदित्य-एल१ की लॉन्चिंग के बाद ये एक घंटा ३ मिनट और १९ सेकंड में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया था। इसके बाद रविवार को आदित्य-एल१ को थ्रस्टर फायर कर इसकी अगली कक्षा में भेजा गया।
आपको बता दें कि आदित्य-एल१ का पूरा कंट्रोल धरती से यानी इसरो से किया जा रहा है। अब आदित्य-एल१ अपनी कक्षाओं को चार बार और बदलेगा। कक्षा बदलने के लिए अगली फायरिंग ५ सितंबर को की जाएगी। उसके बाद १६ दिन पूरे होने पर ये सूर्य की ओर प्रस्थान कर जाएगा।
आपको बता दें कि आदित्य-एल१ पृथ्वी से १५ लाख किलोमीटर की दूरी चार महीने में तय करेगा। इसके बाद ये लैंगरेंज पॉइंट-१ तक पहुंचेगा। यह ऐसा बिंदु है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बैलेंस हो जाता है। इसलिए यहां किसी भी ऑब्जेक्ट को ठहरने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत नहीं पड़ती। यही नहीं यहां से सूर्य ग्रहण का भी असर नहीं होता। ऐसे में आदित्य-एल१ लगातार सूर्य पर निगाह रख पाएगा। साथ ही ये सूर्य के अंदर तक झांक पाएगा। आदित्य-एल१ में फायरिंग के जरिए ही इसरो इसे एल-१ पर हेलो ऑर्बिट में स्थापित करेगा।
इसरो के मुताबिक आदित्य-एल१ १२५ दिनों यानी ६ जनवरी तक एल१ पॉइंट तक पहुंच जाएगा। इस उपग्रह के साथ सात पेलोड भेजे गए हैं। जो सोलर विंड, चुंबकीय क्षेत्र के साथ अन्य क्रियाओं का अध्ययन करेंगे। भारत का ये मिशन दुनियाभर के लिए फायदेमंद होगा। आपको बता दें कि इस साल भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये दूसरी बड़ी सफलता है। इससे पहले २३ अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-३ को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्व लैंड कराया था। इसी के साथ भारत दुनिया का पहला देश बन गया था जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर सका।

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