टोरंटो, २० सितंबर। लगता है हाल में दिल्ली में आयोजित जी२० सम्मेलन के दौरान तवज्जो न मिलने और खालिस्तानियों का समर्थन करने के आरोपों से कैनेडियन पीएम जस्टिन ट्रुडो तिलमिला गए हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे ‘नी जर्क’ रिएक्शन के तौर पर भी देख रहे हैं। अगर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पुख्ता सबूत कैनेडा सरकार के पास मौजूद थे तो उन्हें अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। इस तरह का आरोप, वो भी कैनेडियन संसद में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर लगाना, हैरान करने वाला है। शायद ही इससे पहले हाउस ऑफ कॉमंस में दूसरे देश पर इतने गंभीर आरोप लगाए गए हों। जाहिर है कि ट्रुडो द्वारा दिए गए ऐसे बयान पर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आनी ही थी।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में जस्टिन ट्रुडो द्वारा लिए गए फैसलों की आलोचना होती रही है। शायद ट्रुडो समर्थन जुटाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उनकी लोकप्रियता के ग्राफ में आयी भारी गिरावट ने साबित कर दिया है कि कैनेडियन नागरिक ट्रुडो सरकार से खुश नहीं हैं। कैनेडा में महंगाई और बेरोजगारी की समस्या के साथ-साथ अपराधिक घटनाएं भी बहुत बढ़ गयी हैं। लेकिन ट्रुडो ने भारत सरकार के खिलाफ ऐसा बयान देकर खालिस्तान समर्थकों और भारत विरोधियों को खुश करने का काम किया है।
कैनेडा में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार ताहिर असलम गोरा कहते हैं कि ट्रुडो द्वारा निज्जर की हत्या के तीन महीने बाद इतना बड़ा कदम उठाना हैरानी की बात है। क्योंकि तीन दशक पहले हुए एयर इंडिया बम धमाके की जांच अब तक पूरी नहीं हो पायी है। ऐसे में सवाल उठता है कि सिर्फ तीन महीने में इस घटना की गुत्थी को कैसे सुलझा लिया गया।
गौरतलब है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले से भारत और कैनेडा के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। स्थिति इतनी आगे बढ़ चुकी है कि अब रिश्तों को पटरी पर लाना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित कर चुके हैं। जबकि भारत जाने वाला ट्रेड मिशन भी कैनेडा ने रोक दिया गया है। इस दौरान कैनेडा सरकार ने भारत को लेकर ट्रेवल एडवाइजरी अपडेट की है। जिसमें अपने नागरिकों से जम्मू-कश्मीर की यात्रा न करने का आग्रह किया गया है। एडवाइजरी के मुताबिक वहां की डांवाडोल सुरक्षा स्थिति के कारण कैनेडियन्स की जान को खतरा हो सकता है। क्योंकि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, अलगाववाद व तनाव मौजूद है, साथ ही अपहरण की घटनाएं भी होती हैं। आपको बता दें कि खालिस्तान के कट्टर समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की गत जून महीने में ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर पार्किंग में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। जिसके बाद से खालिस्तान की मांग करने वाले लोग भारत सरकार और एजेंसियों पर आरोप लगा रहे थे। लेकिन सोमवार को कैनेडियन पीएम ट्रुडो ने भारत को लेकर इतना गंभीर और सनसनीखेज बयान दिया कि दोनों देशों के राजनयिक रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच गए हैं।
कैनेडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को कहा कि ओटावा ने अब बोलने का फैसला किया क्योंकि “हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि जो कुछ चल रहा था उसे समझने के लिए हमारे पास एक ठोस आधार है… हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हम अपने सहयोगियों के साथ बात करने के लिए समय ले रहे हैं।” ।”
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस मामले के अंतरराष्ट्रीय कानून में दूरगामी परिणाम होंगे।
उन्होंने कहा, “भारत सरकार को इस मामले को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है। हम ऐसा कर रहे हैं; हम उकसाने या इसे आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।”