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वेब सीरीज़ देखकर नकली नोट छापने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़, ५ गिरफ्तार, लाखों के नकली नोट बरामद

नई दिल्ली ,०८ अक्टूबर। अपराधी अब मनोरंजन या ज्ञानवर्धन के लिए बनाई गये कार्यक्रमों से भी आइडिया लेकर अपराध कर रहे हैं। हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई शाहिद कपूर अभिनीत वेबसीरीज ‘फर्जी’ से प्रेरित होकर नकली भारतीय नोटों का व्यापार करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भंडाफोड़ किया। क्राइम ब्रांच ने गिरोह के पांच सदस्यों को भी गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में कार्टेल का सरगना सकूर मोहम्मद (२५) भी शामिल है। इसके अलावा लोकेश यादव (२८), हिमांशु जैन (४७), शिव लाल (३०) और संजय गोदारा (२२) को भी पकड़ा गया। सभी आरोपी राजस्थान के रहने वाले हैं।
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने कहा कि पिछले कुछ समय से मिल रहे इनपुट के आधार पर जाली मुद्रा में शामिल एक सिंडिकेट के संदिग्ध सदस्यों की गतिविधियों पर निगरानी रखी गई थी। उन्होंने कहा कि सकूर और लोकेश नाम के दो अपराधियों के बारे में विशेष इनपुट प्राप्त हुआ था, जो नकली भारतीय करेंसी के प्रसार में शामिल हैं, सूचना मिली थी कि वह एक संभावित रिसीवर को खेप देने के लिए अक्षरधाम मंदिर के पास के इलाके में आएंगे।
इसके बाद जाल बिछाया गया और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी तलाशी के दौरान उनके पास से ५०० रुपये मूल्य के ६ लाख रुपये के बराबर उच्च गुणवत्ता वाले जाली नोट बरामद किए गए। पूछताछ करने पर आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्हें बरामद जाली नोट अपने सहयोगियों हिमांशु जैन, शिव लाल और उनके भाई संजय से सर्कुलेशन के लिए प्राप्त हुआ था।
विशेष सीपी ने कहा कि यह भी पता चला कि आरोपी व्यक्तियों राधे, सकूर और शिव लाल ने पर्याप्त लाभ कमाने के उद्देश्य से अजमेर में नकली नोटों की छपाई के लिए एक सेटअप स्थापित करने की साजिश रची थी। इसके बाद उन्होंने अजमेर में एक किराए के घर पर जाली नोट छापने और दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न ग्राहकों को नकली मुद्रा प्रसारित करने के लिए सिंडिकेट का संचालन किया।
इन खुलासों के बाद, अजमेर में छापे मारे गए, जिसके बाद हिमांशु, शिव लाल और संजय को गिरफ्तार किया गया। उनके कब्जे से ११ लाख रुपये के बराबर बड़ी मात्रा में नकली करेंसी भी बरामद किया गया, जो सभी ५०० रुपये के नोट के रुप में थे।
स्पेशल सीपी ने बताया कि आगे की जांच करने पर नकली नोटों को प्रिंट करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण में दो लैपटॉप, तीन रंगीन प्रिंटर, दो लेमिनेशन मशीन, दो पेन ड्राइव, पेपर शीट, स्याही और रसायन, ‘सुरक्षा धागे’ के रूप में उपयोग की जाने वाली दो गॉज, हरी फाइल शीट और जाली नोटों पर ५०० को अंकित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले फ्रेम शामिल हैं। अजमेर में किराये के मकान से चमकती हुई स्याही भी बरामद की गई।
इसके अलावा, नकली नोटों के प्रसार में सभी आरोपी व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल, सिम कार्ड, एक क्रेटा और एक स्विफ्ट भी जब्त की गई। सकूर पेशे से पेंटर था और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए २०१५ में अजमेर आया था।
स्पेशल सीपी ने कहा कि वह सिंडिकेट का मास्टरमाइंड है और अमेजन प्राइम वीडियो पर ‘फर्जी’ वेबसीरीज देखने के बाद वह नकली नोटों को छापने और प्रसारित करने के लिए प्रेरित हुआ था। सकूर शिव लाल और राधे ने अजमेर में जाली करंसी की छपाई के लिए एक सेटअप स्थापित किया। एक चित्रकार के रूप में उनकी पृष्ठभूमि के कारण उन्हें रसायनों और स्याही की अच्छी समझ थी, जिसका उपयोग उन्होंने नकली मुद्रा के उत्पादन में किया।

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