नयी दिल्ली, १२ अप्रैल। क्रायोजेनिक भंडार विनिर्माता प्रमुख भारतीय कंपनी आईनॉक्ससीवीए ने कहा है कि उसने स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए देश के पहले जीरो-बॉयल-ऑफ ४के हीलियम क्रायोस्टेट का निर्माण किया है। कंपनी का दावा है कि इससे मरीजों के एमआरआई परीक्षण की लागत कम करने में मदद मिलेगी।
गैंसों को तरल रूप में रखने के लिए क्रायोजेनिक (अति-शीतल) स्टोरेज तथा पुनर्गैसीकरण प्रणालियों का विनिर्माण और वितरण करने वाली कंपनी की विज्ञप्ति में कहा गया है कि १.५टी सुपरकंडक्टिंग एमआरआई के लिए संपूर्ण शरीर हीलियम क्रायोस्टेट जीरो बॉइल-ऑफ तकनीक पर आधारित है।
कंपनी के अनुसार एमआरआई मैग्नेट सिस्टम की निर्माण क्षमता रखने वाला भारत दुनिया का छठा देश बन गया है और इससे एमआरआई लागत कम करने और स्वास्थ्य सेवा को अधिक किफायती बनाने में मदद मिलेगी। कंपनी ने इस प्रणाली का फैब्रिकेशन अपनी वड़ोदरा स्थित कारखाने में किया है। क्रायोस्टेट को नई दिल्ली के इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (आईयूएसी) में स्वदेशी चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (आईएमआरआई) परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डॉ. सौमेन कार के नेतृत्व में वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और अनुसंधान साथियों की एक टीम द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है।
विज्ञप्ति के अनुसार आजादी के ७५ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आईएनॉक्ससीवीए ने इस एमआरआई चुंबक प्रणाली को आई-अमृत १.५ ( यानी भारतीय उन्नत एमआरआई प्रौद्योगिकी १.५) नाम दिया है।
