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भारत आईसीसी राजस्व के ३८ प्रतिशत का हकदार

दुबई, ०३ जून। इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिचर्ड गूड का मानना हे कि विश्व क्रिकेट के विकास और राजस्व के सृजन में भारत का बड़ा योगदान है और वह २०२४ से २०२७ के बीच आईसीसी के प्रस्तावित वित्तीय मॉडल के तहत २३० मिलियन डॉलर सालाना पाने का हकदार है ।
नये प्रस्तावित मॉडल के तहत भारतीय क्रिकेट बोर्ड को ६०० मिलियन डॉलर राजस्व में से ३८.५ प्रतिशत मिल सकता है जबकि ईसीबी को ४१.३३ मिलियन और क्रिकेट आस्ट्रेलिया को ३७.५३ मिलियन डॉलर मिलेगा ।
पीसीबी को ३४.५१ मिलियन ( ५.७५ प्रतिशत ) मिलेगा जबकि बाकी की रकम शेष पूर्णकालिक सदस्यों में बांट दी जायेगी । कुल १२ पूर्णकालिक सदस्यों को ५३२.८४ मिलियन ( ८८.८१ प्रतिशत ) और बाकी को ६७.१६ मिलियन डॉलर (११.१९ प्रतिशत ) मिलेगा ।
आईसीसी से अभी इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलनी बाकी है । इस मॉडल की यह कहकर आलोचना हो रही है कि इससे वित्तीय असमानता बढेगी ।
गूड ने हालांकि इसका समर्थन करते हुए कहा, राजस्व के सृजन और खेल को आगे ले जाने में भारत की भूमिका को देखे तो यह सही है । एक अरब और ४० करोड़ लोग, एक खेल , दस (आईपीएल) टीमें, एक अंतरराष्ट्रीय टीम ।
उन्होंने कहा , इसके अलावा मुझे विश्व क्रिकेट को आगे ले जाने में मदद का रवैया बहुत पसंद है । भारत इतने अंतरराष्ट्रीय मैच खेलता है और ऐसा इसलिये क्योंकि उसे पता है कि उसके दौरे से दर्शकों की रूचि बढती है और घरेलू बोर्ड का राजस्व भी । भारत नहीं होगा तो खेल में इतना राजस्व भी नहीं आयेगा ।

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