94 Views

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती निरंकुशता

दुनिया भर की सरकारें अपने यहां समय-समय पर इंटरनेट पर सख्ती करती रहती हैं। चीन, उत्तर कोरिया, ईरान, तुर्किए जैसे देशों में फेसबुक, ट्वीटर तथा यूटय़ूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदियां लगाने के लिए बुरी तरह बदनाम हैं। कुछ समय पहले भी भारत सरकार द्वारा ५८ मोबाइल एप्स पर भी पाबंदी लगाई जा चुकी है। यह सच है कि स्क्रीन पर अश्लील कंटेट की बहुतायत है।
सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह ऐसे प्लेटफार्म्स को हिदायत दे। बावजूद इसके यदि वे अपनी स्थिति स्पष्ट करने में असफल होते हैं या चेतावनियों की अनदेखी करते हैं तो उन पर सख्त कार्रवाई करने में संकोच नहीं करना चाहिए, परंतु जैसे कि यह चुनावी वर्ष है, जिसे देखते हुए सरकार पर यह आरोप लगना लाजमी है कि उस पर कीचड़ उछालने वाले कंटेंट या कार्यक्रमों की पहुंच को सीमित रखने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया।
इंटरनेट के जमाने में अश्लीलता को रोकना किसी भी सिस्टम के हाथ में नहीं रहा है। यहां सब कुछ खुलेआम नजर आ रहा है। रचनात्मकता पर अंकुश लगाना कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि शील-अश्लील की बारीक रेखा को चिह्नित करना आसान नहीं है।
यह चुनाव स्वयं दर्शकों को करने की पूरी आजादी होनी चाहिए, न कि सरकारों को अंकुश लगाने में जल्दबाजी करनी चाहिए। याद रखना जरूरी है कि गूगल सबसे ज्यादा देखे जाने वाले कंटेंट की प्रतिवर्ष सूची जारी करता है, उसमें पोर्न देखने वाले भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा होती है।

Scroll to Top