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बिलकिस बानो मामले में तीन दोषियों ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, सरेंडर के लिए मांगा समय

नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले में ११ दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। तीनों दोषियों ने जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोषियों ने सरेंडर करने से पहले चार से छह सप्ताह का समय मांगा है। उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों और स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है।
दोषियों में से एक गोविंदभाई ने अपनी याचिका में अपने ८८ साल के पिता और ७५ साल की मां की देखभाल की जिम्मेदारी का हवाला देते हुए कहा कि वह उनका एकमात्र देखभालकर्ता है। एक दूसरे दोषी, रमेश रूपाभाई चंदना ने यह कहते हुए छह सप्ताह की मोहलत मांगी कि उसे अपने बेटे की शादी की व्यवस्था करने के लिए वक्त चाहिए। तीसरे दोषी मितेश चिमनलाल भट ने भी छह हफ्ते के विस्तार की गुजारिश की है। इसमें उल्लेख किया गया कि उसकी सर्दियों की उपज फसल के लिए तैयार है, और वह आत्मसमर्पण करने से पहले इस काम को पूरा करना चाहेगा।
आपको बता दें कि ०३ मार्च, २००२ को अहमदाबाद के पास रंधीकपुर गांव में २१ वर्षीय बिलकिस बानो के परिवार पर हिंसक भीड़ ने हमला किया। महिला के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया जबकि उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद दिसंबर २००३ में उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच का निर्देश दिया। २१ जनवरी, २००८ को एक विशेष अदालत ने बिलकिस बानो से बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में ११ लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। १५ अगस्त, २०२२ को गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत गोधरा उप-कारागार से ११ दोषियों को रिहा किया गया था।
अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा में छूट को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भूइयां की पीठ ने सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार देते हुए कहा कि गुजरात सरकार सजा में छ्रट का आदेश देने के लिए उचित सरकार नहीं है।

 

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