भोपाल ०१ जुलाई। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने केंद्र को यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम के तहत उम्र की मौजूदा १८ से घटाकर १६ साल करने पर विचार करने की सिफारिश की है।
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी १७ वर्षीय लड़के की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिस पर ग्वालियर में १४ वर्षीय लड़की की शिकायत के आधार पर पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोपी को २०२० में बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। स्कूल में पढऩे वाली लड़की गर्भवती हो गई थी और २०२० में अदालत की अनुमति से उसका गर्भपात कराया गया था।
शुक्रवार को बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि शारीरिक संबंध दोनों (पीड़ित और आरोपी) की सहमति से बने थे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी और केंद्र से उम्र सीएमा १८ से घटाकर १६ करने पर विचार करने का अनुरोध किया।
उच्च न्यायालय ने कहा, इंटरनेट के युग में, युवा बहुत पहले परिपक्व हो रहे हैं। कई युवा १८ वर्ष की आयु सीमा पूरी करने से पहले शारीरिक संबंध बनाते हैं और कभी-कभी, उन पर बलात्कार का मामला दर्ज किया जाता है और उनका भविष्य बर्बाद हो जाता है।
गौरतलब है कि कुछ वर्षों में कई राज्यों के उच्च न्यायालयों ने इसकी सिफारिश की है। २०२२ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी संसद से सहमति की उम्र के मुद्दे पर फिर से विचार करने की भी अपील की थी।
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