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क्रिप्टोकरेंसी पर भारत सरकार का रुख

भारत सरकार ने क्रिप्टो करेंसी पर शिकंजा कसने के लिए नए नियम लागू किए हैं। एक गजट अधिसूचना के मुताबिक अब क्रिप्टोकरेंसी को खरीदना-बेचना, रखना और इससे जुड़ी सेवाओं पर एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून लागू होगा। अब क्रिप्टो एक्सचेंजों को वित्तीय खुफिया इकाई भारत (एफआईयू-भारत) को संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देनी होगी। समझा जाता है कि यह कदम क्रिप्टो करेंसी के कारोबार को विनिमियत करने के लिए उठाया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि क्रिप्टो करेंसी की खरीद- बिक्री से जुड़ी तमाम वित्तीय सेवाओं को अब मनी लॉन्ड्रिंग कानून- २००२ के तहत लाया गया है। अब यह देखने की बात होगी कि इस कदम से क्रिप्टो कारोबार सचमुच कितना विनियमित होता है। क्रिप्टो कारोबार एक नई चीज है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग कानून उस समय की स्थितियों के मुताबिक बना था। इसलिए कुछ विशेषज्ञों ने सवाल उठाया है कि क्या यह कदम सचमुच इस नए कारोबार पर लगाम कस सकेगा। भारत ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी के लिए किसी खास कानून या नियमों को लागू नहीं किया गया है, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने कई बार उनके इस्तेमाल के प्रति आगाह किया है।
बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसी साल जनवरी में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी जुए के बराबर है। उन्होंने कहा था कि इसका समर्थन करने वाले इसे संपत्ति या वित्तीय उत्पाद कहते हैं, लेकिन इसमें कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी का मुकाबला करने के लिए आरबीआई ने हाल ही में पायलट मोड में अपना ई-रुपया या केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) लॉन्च किया। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे पोंजी स्कीम के समान हैं। लेकिन सरकार ने यह सलाह नहीं मानी है। इसके बजाय उसने इस कारोबार को विनिमियत करने का महत्त्वाकांक्षी कदम उठाया है। नए कदम के तहत अब क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन के मामलों में भारतीय अधिकारियों को देश की सीमाओं से बाहर भी इन संपत्तियों के ट्रांसफर की निगरानी में अधिक अधिकार हासिल हो जाएंगे। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल के बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होनी वाली आय पर तीस प्रतिशत टैक्स लगाने का फैसला किया था।

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