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एफपीआई के दम से रुपये का शानदार प्रदर्शन

नईदिल्ली। साल २०२३ में लगभग स्थिर रहने वाले रुपये के लिए २०२४ की शुरुआत बहुत अच्छी हुई है। जनवरी में अब तक यह ०.१ फीसदी की बढ़त के साथ एशिया में सबसे अच्छे प्रदर्शन वाली मुद्रा रही है जबकि इस दौरान डॉलर इंडेक्स में २ फीसदी की बढ़त हुई है।
जनवरी में अन्य सभी एशियाई मुद्राओं में १.४ फीसदी से लेकर ४ फीसदी तक की गिरावट देखी गई है। बाजार के जानकारों का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश की वजह से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हुआ है।
येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन कहते हैं, ‘बॉन्ड समावेशन से संभावित प्रवाह के दम पर बाजार आगे चल रहे हैं। यह संभवत: एक वजह हो सकती है कि रुपया काफी हद तक स्थिर रहा।’ बीते शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया ८३.११ पर बंद हुआ था।
घरेलू ऋण बाजार में जनवरी महीने में अब तक करीब १५,७९३ करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ है। जेपी मॉर्गन ने भारत को अपने शीर्ष जीबीआई-ईएम ग्लोबल डायवर्सिफाइड इंडेक्स में शामिल करने का फैसला किया है। भारत इस सूचकांक में १ फीसदी भार के साथ जून में शामिल होगा। इसके बाद हर महीने भारत का भार बढ़ेगा और अप्रैल २०२५ तक यह बढ़कर १० फीसदी तक हो जाएगा।
इसके अलावा, ब्लूमबर्ग इंडेक्स सर्विसेज लिमिटेड ने भी ब्लूमबर्ग इमर्जिंग मार्केट लोकल करेंसी इंडेक्स में भारत के पूर्ण सुगम्य मार्ग (एफएआर) वाले बॉन्डों को शामिल करने के बारे में फीडबैक के लिए परामर्श पत्र जारी किया है।
गत दिसंबर में डॉलर इंडेक्स में २ फीसदी से ज्यादा की उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो कि मुख्यत: इस उम्मीद में हुई कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व मार्च से दरों में कटौती कर सकता है। हालांकि, अब हालात बदल गए हैं क्योंकि हाल में जो आंकड़े आए हैं, उनसे यह पता चलता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत है। इससे ऐसा लगता है कि अभी दरों में कटौती टल जाएगी।
सीएमई ग्रुप के फेडवॉच टूल के मुताबिक कारोबारियों की सोच में बदलाव आया है और अब ४२ फीसदी को ही यह लगता है कि मार्च महीने में फेडरल रिजर्व २५ आधार अंक की कटौती करेगा। इसके पहले दिसंबर महीने में करीब ७५ फीसदी कारोबारी यह उम्मीद कर रहे थे कि फेड मार्च में दरों में कटौती करेगा।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल ने कहा, ‘रुपये में किसी तरह की गिरावट को रिजर्व बैंक रोक रहा है। दूसरी एशियाई मुद्राएं डॉलर के अनुरूप चल रही हैं, जबकि भारतीय रुपया, डॉलर में जो कुछ हो रहा है उसके विपरीत चल रहा है।’
गोयल ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने इस पर अंकुश लगा दिया है और काफी पूंजी प्रवाह भी हो रहा है, खासकर ऋण सेग्मेंट में। इसलिए रुपये में जहां ऊपर जाने की गुंजाइश भी सीमित है, वहीं यह साफ है कि यह गिरावट के दौर में थोड़ी दखल देगा। डॉलर की तुलना में रुपये के ८३ से नीचे जाने पर रिजर्व बैंक बहुत सक्रिय हो जाता है। इस वजह से रुपया बहुत सीमित दायरे में रहता है।’
येस बैंक के इंद्रनील ने कहा, ‘अगर निवेश प्रवाह मजबूत बना रहा तो हमारे पास वाजिब स्तर का भुगतान संतुलन अधिशेष हो जाएगा, जिसकी रिजर्व बैंक को चाहत होगी। लेकिन अगले साल के लिए हमारी नजर इस बात पर है कि डॉलर के मुकाबले रुपया ८२.५० से नीचे जाए।’
केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक रुपया इस साल यानी २०२४ में मजबूत होकर डॉलर के मुकाबले ८२ के स्तर तक जा सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार तैयार करने के लिए रिजर्व बैंक जो हस्तक्षेप कर रहा है वह रुपये की बढ़त पर अंकुश लगा सकता है। रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों के मुताबिक १९ जनवरी तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार ६१६ अरब डॉलर का रहा है।

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