चेन्नई ,३० सितंबर । हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का निधन हो गया है। ९८ वर्षीय एमएस स्वामीनाथन को उनके जीवन में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिनमें १९६७ में ‘पद्म श्री’, १९७२ में ‘पद्म भूषण’ और १९८९ में ‘पद्म विभूषण’ शामिल हैं। स्वामीनाथन सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में सराहे जाते थे। २००४ में स्वामीनाथन को किसानों पर राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। इस आयोग को आत्महत्या के मामलों के बीच किसानों के संकट को देखने के लिए गठित किया गया था।
आयोग ने २००६ में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और अपनी सिफारिशों में सुझाव दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उत्पादन की औसत लागत से कम से कम ५० प्रतिशत अधिक होना चाहिए। स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है। वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और स्वीकार किया। इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई।
