काबुल,०२ नवंबर। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद देश छोड़कर पाकिस्तान की ओर विस्थापित हुए लाखों अफगान शरणार्थियों को एक बार फिर भागने को मजबूर होना पड़ रहा है। पाकिस्तान की सरकार ने यहां अवैध रूप से रह रहे १.७ मिलियन यानी १७ लाख अफगान नागरिकों को देश छोड़ने के लिए ३१ अक्टूबर तक की डेडलाइन दी थी। पाक सरकार ने कहा था कि जो अफगानी नागरिक देश नहीं छोड़ेंगे, उन्हें १ नवंबर से बलपूर्वक निर्वासित किया जाएगा। ऐसे में डेडलाइन खत्म होते ही अफगान नागरिक बड़ी संख्या में ट्रकों और बसों में सवार होकर अपने देश के लिए रवाना हुए। बॉर्डर क्रॉसिंग में इस दौरान बड़ी अफरा-तफरी देखने को मिली। अफगान सीमा पार करने पर हजारों अफगानी परिवार खाना-पानी के लिए तरस रहे हैं।
अफगानिस्तान और पाकिस्तानी राजधानी के बीच तोरखम क्रॉसिंग पर इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं। इस बीच तालिबान सरकार ने कहा है कि सीमा पर मोबाइल टॉयलेट, पानी के टैंक और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था की गई है। हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि शरणार्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए यह व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।
अफगान नागरिकों को निकाले जाने के पाकिस्तान के अभियान की संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, अधिकार समूहों और अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाले शासन की ओर से व्यापक आलोचना हुई है।
