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Corona in China: what is the matter

चीन में कोरोना: क्या है माजरा

चीन से अब आ रही खबरों से यह नहीं लगता कि कुछ समय पहले वहां कोरोना की लहर से तबाही की जैसी तस्वीर पश्चिमी मीडिया में ने बताई, उसमें दम था। अब संकेत यह है कि जीरो-कोविड नीति हटने के बाद संक्रमण तेजी से फैला। लेकिन ओमिक्रोन के जिस सब-वैरिएंट से यह लहर आई, वह जानलेवा नहीं है। इस वजह से लोग बीमार पड़े, अस्पतालों में भीड़ लगी, लेकिन धीरे-धीरे लोग ठीक होने लगे। कुछ-कुछ वैसा ही, जैसा जनवरी २०२२ में ओमिक्रोन लहर के समय भारत में हुआ था। अब चीन से शहरों में आम गतिविधियां शुरू होने और अर्थव्यवस्था में रफ्तार बढऩे की खबरें आ रही हैं। इस हफ्ते तीन साल बाद जैसे ही चीन ने विदेश यात्राओं पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी, पासपोर्ट बनवाने और उन्हें अपडेट कराने वालों का तांता देखने को मिला। देश भर के इमिग्रेशन दफ्तरों के बाहर भारी भीड़ देखी गई है। सोमवार को चीनी पर्यटकों का पहला दल थाईलैंड पहुंचा। चीन की अर्थव्यवस्था खुलने का असर कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार पर भी देखने को मिला है। नीति में इस बदलाव का असर शेयर बाजारों में भी दिखा है।
निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि देश को फिर से खोलने से १७ खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में फिर से जान आ सकती है, जो इस वक्त दशकों की सबसे धीमी विकास दर से जूझ रही है। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान जिस नीति परिवर्तन ने खींचा है, वह क्वॉरंटीन जैसी अनिवार्यताओं को खत्म करना है। अब तक नियम यह था कि विदेश से लौटने वालों को लंबे क्वॉरंटीन से गुजरना होता था। इसका तुरंत असर दिखा। जिस तरह अन्य देशों ने चीन से आने वाले लोगों के लिए दरवाजे खोले हैं, उससे भी नही लगता कि वे चीन में फैले संक्रमण से चिंतित हैं। ये खबर रविवार को ही आ गई थी कि दक्षिण कोरिया से चीन की उड़ानों की टिकट पूरी तरह बिक चुकी हैं। तो कुल मिला कर यह दुनिया के लिए अच्छी खबर है। इससे संकटग्रस्त होती विश्व अर्थव्यवस्था की कम से कम एक चिंता दूर होगी।

 

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