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इंडिया में विवाद नहीं, मंशा सबकी!

यह सही है भारत में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कोई विवाद नहीं है लेकिन यह भी सही है कि दावेदारी सबकी है। कम से कम पांच पार्टियों की ओर से अपने नेता को दावेदार के तौर पर पेश कर दिया गया है। हालांकि दावेदारी पेश करने के बाद सफाई देकर उसका खंडन भी कर दिया गया लेकिन आधिकारिक रूप से यह बात दर्ज हो गई कि अमुक नेता विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करना चाहता है या गठबंधन की जीतने पर प्रधानमंत्री बनना चाहता है। जिन पार्टियों की ओर से दावेदारी की गई है उनकी ओर से मजबूत तर्क भी दिए गए हैं। प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में सबसे ताजा नाम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का है। उनसे पहले राहुल गांधी, नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, शरद पवार और ममता बनर्जी दावेदार हैं, जबकि मल्लिकार्जुन खडग़े डार्क हॉर्स हैं।
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने मुंबई की बैठक से ठीक पहले कहा कि अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त दावेदार हैं क्योंकि उनके पास विकास का एक नजरिया है, जिसे वे पूरे देश में लागू कर सकते हैं। गौरतलब है कि केजरीवाल की पार्टी विचारधारा की जगह गवर्नेंस को तरजीह देती है और उसके लिए गवर्नेंस का मतलब मुफ्त में पानी, बिजली उपलब्ध कराना है। हालांकि प्रियंका कक्कड़ के बयान के तुरंत बाद पार्टी के बड़े नेता सक्रिय हुए और इसका खंडन किया। पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा के साथ साथ दिल्ली सरकार की नंबर दो मंत्री आतिशी ने कहा कि केजरीवाल प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी उनको पहले ही प्रधानमंत्री पद का दावेदार बता चुकी है। जदयू का कहना है कि नीतीश को ‘इंडिया’ का संयोजक बनाया जाए और उनके नाम पर चुनाव लडऩा चाहिए। जदयू का तर्क है कि नीतीश ने विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने का प्रयास शुरू किया और सफल रहे। इसके अलावा पार्टी का यह भी कहना है कि नीतीश ने जातीय गणना करा कर सामाजिक न्याय का एजेंडा फिर से चर्चा में ला दिया है। भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति की काट के तौर पर यह एकमात्र मुद्दा है, जिससे विपक्षी पार्टियां भाजपा को चुनौती दे सकती हैं। इसलिए अगर नीतीश चेहरा बनते हैं तो विपक्ष को पिछड़े, दलितों, वंचितों व अल्पसंख्यकों का वोट एकजुट करने में आसानी होगी।
एनसीपी के नेता शरद पवार प्रधानमंत्री पद के सबसे पुराने और स्थायी दावेदार हैं। वे सबसे लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। उनकी पार्टी वरिष्ठता और सभी पार्टियों में संपर्कों की वजह से उनको दावेदार बता रही है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी का मानना है कि हिंदुत्व की अपनी राजनीति के दम पर उद्धव ज्यादा मजबूती से नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सकते हैं। उनके नाम पर कट्टर हिंदू वोट भी हासिल किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री पद की पांचवीं दावेदार हैं। वे महिला हैं, केंद्र में मंत्री रही हैं और तीन बार से बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में सीधी लड़ाई में भाजपा को हराया था।

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