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Concern over China's claim

चीन के दावे पर चिंता

अगर सचमुच चीन के शोधकर्ताओं ने दुनिया के किसी भी ऑनलाइन इन्क्रिप्शन (पासवर्ड) को भेदने की क्षमता हासिल कर ली है, तो उससे तमाम देशों का चिंतित होना लाजिमी है। चीन के दावे का मतलब यह है कि वह किसी दूसरे देश के गोपनीय दस्तावेज हासिल करने में सक्षम है। पश्चिमी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक चीन में एक विज्ञान अनुसंधान पेपर दिसंबर के आखिर में प्रकाशित हुआ। उसमें उस विधि का जिक्र है, जिससे आरएसए एल्गोरिद्म को तोड़ा जा सकता है। यह कार्य सिर्फ ३७२ क्यूबिट्स के क्वांटम कंप्यूटर से किया जा सकता है। यह क्षमता चीन के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और सरकारी प्रयोगशालाओं के २४ अनुसंधानकर्ताओं ने विकसित की है। पश्चिम के कंप्यूटर सिक्युरिटी विशेषज्ञों ने कहा है कि यह बहुत बड़ा दावा है। उनके मुताबिक अगर यह दावा सच है तो यह कंप्यूटर विज्ञान के इतिहास में हुई सबसे बड़ी घटनाओं में एक है। इन विशेषज्ञों ने यह स्वीकार किया है कि चीनी शोध पत्र में जिस सिद्धांत का जिक्र है, उसमें दम है। लेकिन क्या इस सिद्धांत के मुताबिक व्यवहार में भी आरएसए तोडऩे की क्षमता चीन के पास है, इसको लेकर संदेह जताया गया है।
इस ओर ध्यान दिलाया गया है कि अभी क्वांटम टेक्नोलॉजी की जो क्षमता मौजूदा है, उससे व्यवहार में ऐसा करना मुश्किल लगता है। अमेरिका की एमआईटी से जुड़े वैज्ञानिक पीटर शोर के मुताबिक चीनी रिसर्चरों ने यह नहीं बताया है कि उनका एल्गोरिद्म कितनी तेजी से चलेगा। जब तक वैसा विश्लेषण सामने नहीं आता, संदेह की वजह बनी रहेगी। शोर एल्गोरिद्म की दुनिया के जाने-माने नाम हैं। उन्होंने १९९४ में ऐसे एल्गोरिद्म का ढांचा तैयार किया था, जो कंप्यूटर इन्क्रिप्शन को तोडऩे में सक्षम था। लेकिन उनकी विधि से कंप्यूटर इन्क्रिप्शन को तोडऩे के लिए लाखों क्यूबिट्स की जरूरत होगी। अभी तक मौजूद क्वांटम कंप्यूटरों में इतनी क्षमता नहीं है। वैसे पिछले साल जर्मन गणितज्ञ क्लाउस पीटर श्नोर ने भी एक एल्गोरिद्म प्रकाशित किया था और दावा किया था कि यह आरएसए कोड को तोडऩे में अधिक सक्षम है। लेकिन बाद में सामने आया कि वह विधि व्यवहार में कारगर नहीं है। संभवत: चीनी दावे की भी अभी यही हकीकत हो!

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