बीजिंग,०३ सितंबर। चीन में आबादी नियंत्रण संबंधी विभिन्न उपायों के कारण गंभीर जनसांख्यिकीय असंतुलन पैदा हो गया है। हालांकि चीन ने अपने जनसंख्या विस्फोट को रोकने में कामयाबी पा ली है। लेकिन बुजुर्गों की भारी तादाद और बच्चों की युवाओं की कम होती संख्या देश के लिए सिरदर्द बन गयी है। अनुमान है कि २०३५ तक देश में ६० वर्ष से ऊपर की आयु के ४० करोड़ बुजुर्ग हो जाएंगे, जो कि कुल जनसंख्या का ३० फीसदी होगा। इसके साथ ही पिछले साल चीन की जनसंख्या में गिरावट रिकार्ड की गयी। १९६१ के बाद यह पहला मौका है, जब साल-दर-साल आबादी के अनुपात में कमी दर्ज की गयी है। इस बीच चीन सरकार ने रिटायर्ड शिक्षकों को फिर से स्कूलों में वापस लाने का सबसे बड़ा भर्ती अभियान शुरू किया है। आपको बता दें कि चीन अपने कर्मचारियों को सबसे जल्द रिटायर करने वाले देशों में शामिल है। हाल ही में चीनी शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर ‘सिल्वर एज’ शिक्षक कार्य योजना शुरू करने का फैसला किया। बताया जाता है कि इस योजना के तहत अगले तीन सालों में १ लाख २० हज़ार रिटायर्ट टीचरों को दुबारा भर्ती किया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन योग्य युवा शिक्षकों की कमी का सामना कर रहा है, इसके कारण वह उम्रदराज टीचरों के अनुभव व ज्ञान से छात्रों को लाभ पहुंचाना चाहता है। ध्यान रहे कि चीन में जनसांख्यिकीय असंतुलन एक अहम समस्या बनकर उभरा है। क्योंकि दशकों तक चीन की कम्युनिस्ट सरकारों ने वन चाइल्ड पॉलिसी सख्ती से लागू करवायी। जिसका नतीज़ा यह हुआ कि अस्सी के दशक के बाद पैदा हुए तमाम चीनियों का कोई सगा भाई या बहन नहीं है। इस इकलौती संतान को यहां राजकुमार और राजकुमारी भी कहा जाता है। वैसे इस युवा पीढ़ी के सामने मुसीबत खड़ी है। उनके ऊपर अपने माता-पिता, दादा-दादी और नान-नानी की देखभाल करने का भारी दबाव होता है। कहने का मतलब है कि एक बच्चे के आसपास छह बुजुर्ग होते हैं। कुछ साल पहले इस चुनौती को भांपते हुए चीन सरकार ने एक बच्चे की नीति को खत्म कर दिया। इतना ही नहीं अब चीनी परिवारों को तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत है। हालांकि वे शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं के महंगे होने और काम की व्यस्तता के कारण दूसरा या तीसरा बच्चा नहीं चाहते हैं। सरकार ने शादीशुदा युगलों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ योजनाएं भी चलायी हैं, जिनका कुछ खास असर पड़ता नहीं दिख रहा है। लेखक ने कई ऐसे युवाओं से बात की, जो शादी के बाद बच्चे नहीं चाहते हैं। चीन का यह संकट उसे जापान की राह पर ले जा रहा है।
चीन में तेज़ी से बुजुर्गों की तादाद बढ़ रही है, अगर यही स्थिति रही तो वर्ष २०२५ तक ६० की उम्र पार कर चुके लोगों की संख्या ३० करोड़ हो जाएगी। जबकि २०३५ तक ४० करोड़ होने का अनुमान है। उस दौरान चीन के विभिन्न संस्थानों से बड़ी संख्या में लोग रिटायर हो जाएंगे। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को देखें चीन सबसे जल्द सेवानिवृत्ति वाले देशों में से एक है, यहां कार्यालयों में कार्यरत पुरुषों के लिए रिटायरमेंट की उम्र ६० और महिलाओं के लिए ५५ वर्ष है। जबकि ब्लू कॉलर काम करने वाली महिलाओं को ५० साल में ही काम से छुट्टी दे दी जाती है। एक रिक्रूटमेंट वेबसाइट के हालिया सर्वे में ६८ फीसदी सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने फिर से काम करने की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन बुजुर्ग चीनी लोगों को जॉब मार्केट में भेदभाव व चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अब तमाम चुनौतियों का सामना कर रहे चीन को सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों की याद आयी है।
