हांगकांग सुर्खियों में है। पिछले सप्ताह वहां लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता और पूर्व मीडिया मुगल जिमी लाई पर लंबे समय से रूके मुकदमे की कार्यवाही शुरू हुई। यह मुकदमा हांगकांग की वैश्विक प्रतिष्ठा को कसौटी पर कसेगा।
लाई हांगकांग का एक जाना-माना नाम था और है। एक मीडिया शहंशाह और लोकतंत्र-समर्थक कार्यकर्ता के तौर पर वे इस क्षेत्र में सीसीपी (चीन की कम्युनिस्ट पार्टी) के सबसे शक्तिशाली आलोचकों में से एक थे। वे बंद हो चुके लोकतंत्र-समर्थक समाचार पत्र ‘एप्पल डेली’ के संस्थापक थे और २०१४ के अंब्रेला मूवमेंट विरोध प्रदर्शनों और २०१९ के प्रत्यर्पण कानून विरोधी प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे थे। हांगकांग का राष्ट्रीय सुरक्षा कानून इसी तरह की असहमति को कुचलने के लिए बनाया गया था।
बीजिंग लंबे समय से चीन की मुखर आलोचना के कारण लाई और उनके ‘एप्पल डेली’ समाचारपत्र से नफरत करता रहा है। सन् १९९५ में स्थापित एप्पल डेली जल्दी ही चीनी भाषा का एक लोकप्रिय टेबोलाईड बन गया जिसमें हल्की-फुल्की सामग्री और हांगकांग व बीजिंग की सरकार की आलोचना का मिश्रण होता था।
लाई पर चलाया जा रहा यह मुकदमा पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। जूरी के बजाए उनके मुकदमे की सुनवाई सरकार द्वारा नियुक्त न्यायाधीश करेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत चले मुकदमों में दोषसिद्धी की दर १०० प्रतिशत है।
न्याय विभाग के मंत्री ने इस बात पर बल दिया है कि यदि कोई आरोपी बरी हो भी जाता है तो उसे दुबारा मुलजिम बनाया जा सकता है। इस बात की प्रबल संभावना है कि लाई को अपनी बची हुई जिंदगी जेल में गुजारनी पड़े। इसके और लाई के ब्रिटिश नागरिक होने के मद्देनजर ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड केमरून और अमरीका ने अब जाकर उन पर मुकदमा चलाए जाने की निंदा की है और उनकी रिहाई की मांग की है।
जिमी लाई का मुकदमा नि:संदेह एक ढकोसला है और मूलत: अन्यायपूर्ण है। यह मुक़दमा खुले न्यायालय में चलाया जा रहा है। इस मुकदमे की कार्यवाही में सारी दुनिया के लोगों की रूचि है। हांगकांग के रहवासी तो सोमवार को मुक़दमे की कार्यवाही देखने के लिए कतारों में खड़े हुए। यह मुकदमा न केवल एक मुखर प्रमुख मीडिया व्यवसायी से संबंधित है बल्कि दरअसल यह बीजिंग-शासित हांगकांग के भविष्य से भी संबंधित है। हालाँकि, फैसला क्या होगा, यह शायद पहले से ही तय है।
