ओटावा, २९ मार्च। शिक्षा के क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग काफी बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं ने रोबोट की मदद से ढलावस्कूली छात्रों को स्मार्ट एजुकेशन देने की पहल की है। हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि शिक्षकों की तुलना में रोबोट की मदद से बच्चे अधिक आसानी से समझ पाते हैं और कठिन से कठिन सवालों को हल कर पाते हैं। इसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है। अब स्कूलों में छोटे बच्चों को इंसानी शिक्षक की बजाए सक्षम स्मार्ट रोबोट शिक्षक से पढ़ाया जा रहा है।
अध्ययन के आंकड़ों से पता चलता है कि बच्चे यह जानते हुए भी कि रोबोट उनकी तरह नहीं है फिर भी उनसे पढ़ना ज्यादा सहज महसूस करते हैं। वह जानते हैं कि रोबोट एक मशीन है इंसान नहीं। शोधकर्ता एना एलिजाबेथ बाउमैन ने यह बात कही।
अध्ययन में बच्चों के दो समूहों पर अध्ययन किया गया। एक समूह में ३ वर्ष के बच्चों को शामिल किया गया जबकि दूसरे समूह में ५ वर्ष के बच्चों को शामिल किया गया। इन्हें वर्चुअल माध्यम से जूम पर संपर्क किया गया।
यह अपने तरह की पहली स्टडी है, जिसमें इंसान और रोबोट की किसी क्षमता को लेकर तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि बच्चे इंसान और रोबोट दोनों की मदद से आसानी से पढ़ सकते हैं। हर क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग बढ़ रहा है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में भी तकनीक की मदद से क्रांतिकारी बदलाव लाए जा सकते हैं। इससे शिक्षण और शैक्षिक माहौल को आसान बनाया जा सकता है।



