नई दिल्ली ,२८ अगस्त । चंद्रयान ३ मिशन की कामयाबी की इबारत के क्रम में एक और अच्छी खबर सामने आई है। विक्रम लैंडर पर लगे थर्मोमीटर (चंद्रमा की सतह थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट) से पहली बार ऑब्जरवेशन आए सामने आए हैं। यह यंत्र चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार यानि तापमान संबंधी गतिविधियों को समझने के लिए है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफाइल को मापता है। इसमें एक नियंत्रित प्रवेश तंत्र से सुसज्जित तापमान जांच है जो सतह के नीचे १० सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है। जांच में १० अलग अलग तापमान सेंसर लगे हैं।
प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराई पर चंद्र सतह/सतह के तापमान में भिन्नता को दर्शाता है, जैसा कि जांच के प्रवेश के दौरान दर्ज किया गया था। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए यह पहली ऐसी प्रोफ़ाइल है। इसका विस्तृत ऑब्जरवेशन चल रहा है। पेलोड को अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल), वीएसएससी के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा विकसित किया गया है। यहां विक्रम लैंडर पर चाएसटीई पेलोड के पहले ऑब्जरवेशन हैं।
आपको बता दें कि चंद्रमा में तापमान में बहुत बड़ा अंतर है और यहां तेजी से तापमान घटता और बधता है। चंद्र दक्षिणी ध्रुव में सूर्य क्षितिज के नीचे या ठीक ऊपर मंडराता है, जिससे सूर्य की रोशनी की अवधि के दौरान तापमान १३० डिग्री फ़ारेनहाइट (५४ डिग्री सेल्सियस) से ऊपर हो जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, रोशनी की इन अवधियों के दौरान भी ऊंचे पहाड़ काली छाया डालते हैं और गहरे गड्ढे अपनी गहराइयों में शाश्वत अंधेरे की रक्षा करते हैं। इनमें से कुछ क्रेटर स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों के घर हैं, जिन्होंने अरबों वर्षों में दिन का उजाला नहीं देखा है, जहां तापमान -३३४ डिग्री फ़ारेनहाइट से -४१४ डिग्री फ़ारेनहाइट (-२०३ डिग्री सेल्सियस से -२४८ डिग्री सेल्सियस) तक होता है।
चंद्रमा प्रत्येक २७.३२२ दिन में एक बार हमारे ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाता है। चंद्रमा पृथ्वी के साथ ज्वारीय रूप से घिरा हुआ है, जिसका अर्थ है कि जब भी यह तुल्यकालिक घूर्णन करता है तो यह अपनी धुरी पर ठीक एक बार घूमता है। भारत ने चंद्रमा के रहस्यों का पता लगाने और समझने और इसका उपयोग बाहरी अंतरिक्ष में आगे जाने वाले मिशनों के लिए को और बेहतर बनाने के लिए भी करना है।
