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चंद्रयान ३ का ट्रांसलूनर कक्षा में सफल प्रवेश, अगला पड़ाव होगा चंद्रमा

चेन्नई,०२ अगस्त। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को चंद्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यान चंद्रयान ३ को ट्रांसलूनर कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। इसरो ने ट्वीट किया, चंद्रयान-३ पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर ली और चंद्रमा की ओर बढ़ गया है। आईएसटीआरएसी में एक सफल पेरिगी-फायरिंग की गई, इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है। अगला पड़ाव : चंद्रमा। चंद्रयान -ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) की योजना ५ अगस्त, २०२३ को चंद्रमा पर पहुंचाने की है।
ट्रांसलूनर ऑर्बिट इंजेक्शन वह प्रक्रिया है, जिसके तहत चंद्रमा की ओर जाने वाले अंतरिक्ष यान को एक प्रक्षेप पथ में डाल दिया जाता है, ताकि वह चंद्रमा तक पहुंच सके। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह ५ अगस्त, २०२३ को एलओआई प्रक्रिया को अंजाम देगी। चंद्रयान-३ अंतरिक्ष यान को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट एलवीएम३ द्वारा कॉपीबुक शैली में १४ जुलाई, २०२३ को कक्षा में स्थापित किया गया था। चंद्रयान-३ अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन २,१४८ किलोग्राम), एक लैंडर (१,७२३.८९ किलोग्राम) और एक रोवर (२६ किलोग्राम) शामिल है। मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है। चंद्र कक्षा में प्रवेश करने के कुछ दिनों बाद लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा। लैंडर के २३ अगस्त की शाम ५.४७ बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग १०० किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा। सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मुद्दा है, क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित जटिल युद्धाभ्यासों की एक श्रृंखला शामिल होती है। रक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले लैंडिंग साइट क्षेत्र की इमेजिंग की जाएगी। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा जो पृथ्वी के १४ दिनों के बराबर है।

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