भारतीय जनता पार्टी हाल के दिनों तक अपने को बाकी पार्टियों से अलग बताती रहती थी और आज में भी मजाक में सोशल मीडिया में उसे संस्कारी पार्टी कहा जाता है। लेकिन उस पार्टी के मंत्री जब संसद के अंदर अजीबोगरीब बयान देते हैं तो हैरानी होती है। उससे ज्यादा हैरानी यह होती है कि न तो पार्टी की तरफ से कुछ कहा जाता है और न राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर से कुछ कहा जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि उसका भाजपा के ऊपर कम से कम नैतिक नियंत्रण है। संसद के मानसून सत्र में कम से कम दो मंत्रियों ने ऐसे बयान दिए हैं, जो विपक्ष का अपमान करने वाले हैं और संसद की गरिमा गिराने वाले हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस शुरू करनेवाले भाजपा के सांसद द्वारा ‘बेटे को सेट करने और दामाद को भेंट करने वाले’ बयान को छोड़ दें तब भी मीनाक्षी लेखी और नारायण राणे के बयान का कोई जस्टिफिकेशन नहीं है।
विदेश राज्य मंत्री और दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली के सेवा बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर हमला किया और उनको चुप कराते हुए कहा कि तुम्हारे यहां ईडी न आ जाए। उन्होंने एक तरह से खुली धमकी दी कि चुप हो जाओ नहीं तो ईडी तुम्हारे घर आ जाएगी। यह ईडी जैसी संस्था के लिए अपमानजनक है और इससे यह साबित होता है कि सरकार ईडी को कंट्रोल कर रही है। लेखी के इस बयान के बाद सरकार या भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इसी तरह शिव सेना से निकल कर कांग्रेस के रास्ते होते हुए भाजपा में गए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता अरविंद सावंत पर हमला करते हुए कहा कि तुम्हारी औकात क्या है, तुम्हारी औकात बता देंगे। सोचें, भाजपा के सांसद और मंत्री सदन से बाहर तो कुछ भी अनाप-शनाप बोलते ही रहते हैं, अब संसद के अंदर भी इस किस्म की बयानबाजी हो रही है।
