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कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी कानून समाप्त, सिद्धारमैया कैबिनेट ने लगाई मुहर

नई दिल्ली, १६ जून। कर्नाटक की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस ले लिया है। इस कानून को भाजपा की सरकार लेकर आई थी। गुरुवार को हुई सिद्धारमैया सरकार की कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया है और इस पर मुहर लगा दी है।

कांग्रेस सरकार की ओर से धर्मांतरण विरोधी कानून को हटाने पर भाजपा ने हमला बोला है। पूर्व शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ‘ये लोग मुसलमानों के वोट चाहते हैं। सिद्धारमैया की सरकार हिंदुओं के खिलाफ है। ये लोग तो हिजाब को फिर से लागू करा सकते हैं। ये लोग अल्पसंख्यकों को वोट हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं और सब चीजों को राजनीति से जोड़ देते हैं।’

चर्चा है कि कांग्रेस सरकार गोहत्या निरोधक कानून भी हटा सकती है। पिछले दिनों एक मंत्री ने यहां तक कहा था कि यदि भैंसों को काटा जा सकता है तो फिर गायों को क्यों नहीं।
वहीं इसके अलावा आज की मीटिंग में आरएसएस के संस्थापक रहे केशव बलिराम हेडगेवार को स्कूली किताबों के सिलेबस से हटा दिया है। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा, ‘हेडगेवार पर स्कूल सिलेबस में जो दिया गया था, उसे हटाया गया है। पिछले सरकार ने बीते साल जो भी बदलाव किए थे, उन्हें वापस लिया गया है। अब वही पढ़ाई होगी, जो पहले होती थी।’

इसके अलावा कैबिनेट ने एक फैसला और लिया है कि सभी सरकारी, गैर-सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों एवं कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना को पढऩा अनिवार्य होगा।

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