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भारत में सीएए लागू होने पर अमेरिका ने जताई चिंता, दिया लोकतंत्र पर ‘ज्ञान’

वाशिंगटन । संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि वह भारत में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) की अधिसूचना को लेकर थोड़ा परेशान है और कहा कि वह अधिनियम के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी कर रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मीडिया से कहा, हम ११ मार्च से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना के बारे में चिंतित हैं।
मिलर ने एक सवाल के जवाब में कहा, हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।
भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए पर आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा था कि नया कानून केवल उत्पीडित अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए है, जो अविभाजित भारत का हिस्सा थे और यह किसी के अधिकारों पर आघात नहीं करेगा।
गृह मंत्री ने कहा था, मैंने सीएए पर अलग-अलग मंचों पर लगभग ४१ बार बात की है और इस पर विस्तार से बात की है कि देश के अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसमें किसी भी नागरिक के अधिकारों को वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है। सीएए का उद्देश्य सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों – जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं – जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से चले गए और ३१ दिसंबर २०१४ से पहले भारत आए लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। इस कानून के माध्यम से उनकी पीड़ा को समाप्त किया जा सकता है।

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