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Amend the law to make rape of dead bodies a crime - Karnataka High Court

शवों से दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए कानून में संशोधन करें -कर्नाटक हाई कोर्ट

बेंगलुरु,०१ जून। कर्नाटक हाई कोर्ट ने शवों से ‘शारीरिक संबंध बनाने’ को अपराध की श्रेणी में लाने और दंडित करने के वास्ते भारतीय दंड संहिता के संबंधित प्रावधानों में केन्द्र से संशोधन करने को कहा है।
हाई कोर्ट ने ये अनुशंसा एक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा ३७६ के तहत बरी करते हुए कीं क्योंकि ‘दुष्कर्म’ के प्रावधानों में ऐसा कोई उपनियम नहीं है जिसके तहत शव के साथ शरीरिक संबंध बनाने के आरोपी को दोषी ठहराया जा सके। आरोपी ने एक महिला की हत्या कर दी थी और फिर उसके शव के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। अदालत ने हालांकि भारतीय दंड संहिता की धारा ३०२के तहत उसे कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई और ५० हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक टी की पीठ ने ३० मई के अपने आदेश में कहा कि आरोपी ने शव के साथ शारीरिक संबंध बनाए। क्या यह भारतीय दंड संहिता की धारा ३७५ अथवा ३७७ के तहत अपराध की श्रेणी में आता है? धारा ३७५ तथा ३७७ का सावधानीपूर्वक अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि पार्थिव शरीर को मानव अथवा व्यक्ति नहीं माना जा सकता। पीठ ने आदेश में कहा, ” इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा ३७५ अथवा धारा ३७७ के प्रावधान लागू नहीं होंगे…..
हाई कोर्ट ने ब्रिटेन और कनाडा सहित कई देशों का उदाहरण दिया जहां पार्थिव शरीर के साथ शारीरिक संबंध बनाना और शवों के साथ अपराध दंडनीय अपराध हैं और कहा कि ऐसे प्रावधान भारत में भी लाए जाएं। अदालत ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि शवों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए छह महीने के भीतर सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के मुर्दाघरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इसने मुर्दाघरों के ठीक से नियमन और कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने की भी सिफारिश की। हत्या और दुष्कर्म का यह मामला २५ जून २०१५ का है और आरोपी तथा पीडि़ता दोनों तुमकुर जिले के एक गांव से थे।

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