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दिल्ली में वायु प्रदूषण

भारत की राजधानी दिल्ली में इस वर्ष कुछ-कुछ दिन के अंतर पर बारिश होने के कारण हवा की गुणवत्ता अब तक आम तौर पर बेहतर रही। तब इसका श्रेय लेने की होड़ लग गई। खासकर दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने इसे अरविंद केजरीवाल सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया। लेकिन अब सूरत बदल गई है, तो इस बारे में पार्टियों ने चुप्पी साध ली है। इस बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति लगभग रोज बदतर होती जा रही है। लेकिन गौरतलब यह है कि इस बार मुंबई में भी हवा की गुणवत्ता बिगड़ी है। मुंबई समुद्र के किनारे है, इसलिए वहां आम तौर पर दिल्ली जैसी वायु प्रदूषण की स्थिति नहीं होती। लेकिन इस बार वहां भी चिंता बढ़ी है।
दिल्ली में तो पिछले एक सप्ताह में हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से गिरकर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गई है। बढ़ते प्रदूषण के असर को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) का दूसरा चरण लागू कर दिया है। अगर अभी ये स्थिति पैदा हो गई है, तो दिवाली के आसपास क्या हाल होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक दिल्ली में खराब हवा से फिलहाल राहत मिलने के आसार नहीं है। तापमान में गिरावट के साथ दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार सामान्य से ज्यादा बन गया है। दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एक अध्ययन के मुताबिक प्रदूषण बढऩे के कारण सांस उखडऩे के मामले बढ़ रहे हैं। एम्स ने वायु प्रदूषण का मरीजों पर पडऩे वाले असर को लेकर अपने एक अध्ययन में कहा कि प्रदूषण के कारण लोगों में सांस और खांसी की परेशानी बढ़ रही है। अध्ययन में पता चला कि हवा में नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर वातावरण में औसतन मानक से एक अंक बढ़ गया। नतीजा यह हुआ है कि इमरजेंसी में सांस लेने की दिक्कत वाले मरीज ५३ फीसदी बढ़ गए। ऐसा ही असर पार्टिकुलेट मैटर २.५ का स्तर बढऩे का हुआ है। स्पष्टत: दिल्ली में प्रदूषण की बुनियादी वजहें दूर नहीं हुई हैं। मौसम परिवर्तन के साथ स्थिति बिगड़ रही है। परंतु इन सब बुरी स्थितियों के बीच खराब बात यह है कि जहां सुधार का श्रेय लेने के लिए हर कोई छाती पीट रहा था, वहीं अब स्थिति बिगड़ने पर सभी लोग मुंह छुपाए बैठे हैं। आखिर २ करोड लोगों की जनता का पुरसा हाल लेने वाला कौन है?

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