चेन्नई ,०२ सितंबर । सूर्य की खोज के लिए भारत के पहले पीएसएलवी-सी५७/आदित्य-एल१ मिशन के लिए २४ घंटे की उलटी गिनती शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट स्थल पर शुरू हो गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने कहा कि शार रेंज में शुक्रवार सुबह ११.५० बजे उलटी गिनती शुरू हो गई। लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड और मिशन रेडीनेस कमेटी की ओर से मिशन की प्रगति की समीक्षा की गयी और इसके बाद मिशन के लिए मंजूरी दे दी गयी।
आदित्य-एल१ उपग्रह, जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय उपग्रह होगा, इसरो के वर्कहॉर्स प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी५७ से दूसरे लॉन्च पैड से शनिवार को ११.५० बजे लॉन्च की जाएगी। उलटी गिनती के दौरान प्रणोदक भरने का कार्य चार चरणों वाले वाहन में बाहर से किया जाएगा। लैंडर मॉड्यूल के बाद यह दस दिनों की छोटी अवधि में भारत द्वारा दूसरा प्रमुख अंतर-ग्रहीय अन्वेषण होगा।
आदित्य-एल१ अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग १५ लाख किलोमीटर दूर है। आदित्य-एल१ लॉन्च के बाद पृथ्वी से लगभग १५ लाख किलोमीटर दूर सूर्य की ओर जाएगा और लैग्रेंज बिंदु पर जाकर स्थापित हो जाएगा। इसके बाद वह ५ साल तक नजर रखेगा और कई तरह से उसका अध्ययन करने के बाद उसका डाटा पृथ्वी पर भेजेगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि आदित्य एल-१ अभियान भारत में तारा भौतिकी और सौर भौतिकी क्षेत्र को बहुत आगे ले जाएगा। पृथ्वी पर हिम युग का क्या इतिहास रहा है आदित्य एल-१ इसकी जानकारी भी जुटाएगा। इस मिशन से सौर गतिविधियों को समझने में मदद मिलेगी और उसका पृथ्वी पर होने वाले असर का भी पता चलेगा। इसकी मदद से हिम युगों की क्या वजह रही और भविष्य में क्या संभावनाएं है इसका भी पता चल सकेगा।
आपको बता दें, चंद्रयान -३ ने २३ अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की और वहां रोवर तैनात किया गया। रोवर ने चंद्र सतह पर, क्षेत्र का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करना शुरू कर दिया है और चंद्रमा की छवियां भेज रहा है। रोवर वहां उपकरणों का उपयोग करके क्षेत्र पर कई रासायनिक कणों की पहचान भी कर रहा है।
