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सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला: इलेक्टोरल बॉन्ड गैर कानूनी

अजय दीक्षित

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है उसने राजनैतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिलने वाले चंदे को गैर कानूनी करार दिया है । असल में अनेक कम्पनियां सत्तारूढ़ दल को चन्दा तो देना चाहती हैं (और बदले में अपने लिए कुछ विशेष रियायतें चाहती हैं) परन्तु वह अपना नाम गोपनीय रखना चाहती हैं । प्राय: तो सत्तारुढ़ दल को ही सबसे ज्यादा चन्दा मिलता है ।
सन् २०१७-१८ के वित्तीय वर्ष में तत्कालीन केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस स्कीम को लाये थे । इसके अन्तर्गत स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया साल में चार बार कुछ दिनों तक इलेक्टोरल बॉण्ड बेच सकती है । यह भी केवल कुछ ही निर्धारित शाखाओं पर । इस स्कीम के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति, संस्था, कम्पनी इन बॉण्डों को खरीद सकती है और फिर उसे किसी पार्टी को दे सकती है । स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया को तो मालूम रहता है कि बॉण्ड किसने खरीदा है, परन्तु राजनैतिक दल जिसे यह प्राप्त होता है, वह नहीं जानता कि यह दान किसने दिया है । यूं अनौपचारिक रूप से कहा जाता है कि वह व्यापारिक कम्पनी सत्तारुढ़ दल को बतला देती है कि वह इतनी राशि का इलेक्टोरल बॉण्ड दे रही है । इससे वह जो तथाकथित लाभ जाती है उसका रास्ता खुला रहता है । वे तो कोई और राजनैतिक दल या कोई व्यक्ति या इलेक्शन कमीशन को कुछ भी मालूम होता था । अभी तक नगद चंदा मात्र बीस हजार रुपये ही दिया जा सकता है । कोई चाहे तो चेक से भी दान दे सकता है, तब सबको पता चल जाता है कि कौन किस पार्टी को कितना चन्दा दे रहा है । इलेक्टोरल बॉण्ड से गोपनीयता बनी रहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुप्त चंदा वोटर से विश्वासघात है । आदेश में कहा गया है कि स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया अब तक जारी सभी इलेक्टोरल बॉण्ड किसने कब, कितने के खरीदे इसका विवरण तीन हफ्ते में इलेक्शन कमीशन को दें और इलेक्शन कमीशन को दें और इलेक्शन कमीशन से अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करें ।
यह स्कीम लाते समय केन्द्रीय सरकार ने कम्पनी कानून और इनकम टेक्स आदि के नियमों में भी बदलाव किया था । सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की खूब खिचाई की है । पहले घाटे वाली कंपनियां चंदा नहीं दे सकती थीं । इस स्कीम में किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं रहा ।
सुप्रीम कोर्ट में पेश आंकड़ों से ज्ञात होता है कि अब तक १६,००० करोड़ के बॉण्ड एसबीआई ने बेचे हैं जिसमें से ६,५६६ करोड़ रुपये का चन्दा भाजपा को मिला है । जनवरी २०२४ तक १६,५१८ करोड़ ग्यारह लाख रुपये के बॉण्ड बिके हैं । कहते हैं राजनैतिक दलों को जो चंदा मिला है उसमें आधे से ज्यादा इलेक्टोरल बॉण्ड से मिला है, किसी-किसी क्षेत्रीय दल को तो ९० प्रतिशत तक चंदा इलेक्टोरल बॉण्ड से मिला है ।
भाजपा को कुल चंदे का आधा हिस्सा इलेक्टोरल बॉण्ड से मिला है । आर.बी.आई. के नियमों में भी बदलाव किया गया ।
अब यह सारी सूचना वेबसाइट पर आ जायेगी तो पता चल जायेगा कि किस पार्टी को किस कम्पनी ने पैसा दिया है । विपक्ष का आरोप है कि अब यह खुलासा हो जायेगा कि अडानी के ग्रुप ने कितना पैसा भाजपा को दिया है ? वहीं विपक्ष को डर है कि अब यह पता चल जायेगा कि भाजपा को नीचा दिखलाने के लिए किस कम्पनी ने पैसा दिया है । कुल मिलाकर यह वोटर की बड़ी जीत है और भारत के प्रजातंत्र की रक्षा सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है और सत्तारूढ़ दल या विपक्ष देश में प्रजातंत्र की रक्षा के लिए मात्र घडिय़ाली आंसू बहाते हैं ।

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