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World Radio Day: Radio is a powerful medium to speak the mind

विश्व रेडियो दिवस : मन की बात कहने का सशक्त माध्यम है रेडियो

अगर आपको भी बिना किसी संकोच के अपने मन की बात किसी अपने से कहनी है या यूं ही मन के विचारों को लोगों तक पहुंचना है तो आज भी इसका सशक्त माध्यम रेडियो ही है। आज विश्व रेडियो दिवस है तो आइए थोड़ी चर्चा कर लें कि कैसे रेडियो आज भी आपके और हमारे जीवन का अहम हिस्सा है।

टीवी के आगमन से बहुत पहले से रेडियो ही आम लोगों के मनोरंजन एवं संचार का सबसे सस्ता माध्यम हुआ करता था। वर्तमान में भी तकनीकी रूप से उन्नत दुनिया में इंटरनेट और संचार के अन्य माध्यमों तक आसान पहुंच के बावजूद रेडियो की रेंज और विश्वसनीयता कई गुना ज्यादा है। रेडियो की गुणवत्ता और लोकप्रियता को देखते हुए १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है।
भारत में रेडियो को फिर से सुर्खियों में लाने में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीय जनता से बात करने के लिए ‘मन की बात’ कार्यक्रम शुरू किया, जो आज भी जारी है।
रेडियों के बारे में और जानें उससे पहले यह जान लें कि रेडियो का अविष्कार कहां हुआ। आपको यह जानकर खुशी होगी कि रेडियो का जन्म दाता कैनेडा है।
जी हां , कैनेडा के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने २४ दिसंबर १९०६ को रेडियो प्रसारण शुरू किया था। साल १९१८ में ली द फॉरेस्ट ने न्यूयॉर्क स्थित हाई ब्रिज में दुनिया के पहले रेडियो स्टेशन की शुरुआत की, लेकिन इस रेडियो स्टेशन को अवैध बताते हुए, वहां की स्थानीय पुलिस ने इसे बंद करवा दिया।
आपको बता दें कि विश्व रेडियो दिवस का इतिहास पुराना नहीं है। २० सितंबर २०१० में पहली बार स्पैनिश रेडियो अकादमी ने रेडियो दिवस मनाने का एजेंडा यूनेस्को की एक बैठक में रखा। साल २०११ में यूनेस्को की महासभा के ३६ वें सत्र में १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने की घोषणा की गई। १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के तौर पर यूनेस्को की घोषणा को संयुक्त की महासभा ने १४ जनवरी २०१३ को स्वीकृति दे दी गई। १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने की मुख्य वजह यह थी कि संयुक्त राष्ट्र संघ के निजी यूएन रेडियो की स्थापना १३ फरवरी १९४६ में हुई थी। तभी से प्रत्येक वर्ष १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जा रहा है।
विश्व रेडियो दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य आम श्रोताओं और मीडिया के मध्य रेडियो के महत्व को स्पष्ट करते हुए इसे प्रसार करना था। इसके अलावा इसका एक अन्य उद्देश्य विभिन्न निर्माता और निर्णय लेने वाली कंपनियों को रेडियो की पहुंच के बारे में बताकर इसके उपयोग के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है, ताकि उनकी बात आम जनता तक पहुँच सके।
जहां तक भारत की बात है, तो यहां साल १९३६ में रेडियो की शुरुआत हुई थी, इसे ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी का नाम दिया गया। ताजे आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में देश में कुल २१४ सामुदायिक रेडियो प्रसारण केंद्र सक्रिय हैं।

भारत में रेडियो का चलन बरसों पुराना है। सस्ता और सुलभ होने के कारण भारत में रेडियो का प्रयोग लंबे समय से हो रहा है, जिसे घर के सभी सदस्य एक स्थान पर बैठकर बड़े चाव के साथ सुनते थे। क्योंकि उस समय देश-दुनिया की खबरें, महत्वपूर्ण जानकारियां, गाने एवं तमाम तरह के मनोरंजन का इकलौता साधन होता था। समय के साथ रेडियो के पूरे सिस्टम में आमूल परिवर्तन आया। उदाहरण के लिए वर्तमान में रेडियो ब्रॉडबैंड मोबाइल और टेबलेट आदि के माध्यम से सहज उपलब्ध है।

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