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WHO strict on cough syrup deaths, issued alert to all countries

कफ सीरप से हुई मौतों पर डब्लूएचओ सख्त, सभी देशों को जारी किया अलर्ट

जेनेवा, २५ जनवरी। हाल के समय में खांसी की दवाई से कई बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं जिसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के सभी देशों से अपील की कि वह दूषित दवाईयों के प्रति तुरंत और सख्त कार्रवाई करें। डब्लूएचओ ने एक बयान जारी कर बताया कि करीब ५ साल के ३०० से ज्यादा बच्चों की जांबिया, इंडोनेशिया, उज्बेकिस्तान में मौत हुई। इनकी मौत का कारण किडनी की खराबी रहा और इसका ताल्लुक दूषित दवाई से था। डब्लूएचओ ने कहा कि खांसी के कुछ सीरप में डाइएथिलीन ग्लाइकोल और एथीलीन ग्लाइकोल की मात्रा ज्यादा पाई गई है, जो बच्चों में किडनी की खराबी का कारण बनी।
आपको बता दें कि डाइएथिलीन ग्लाइकोल और एथीलीन ग्लाइकोल जहरीले रसायन होते हैं, जो कि बेहद कम मात्रा में भी जानलेवा साबित हो सकते हैं। डब्लूएचओ का कहना है कि ये तत्व दवाईयों में कभी नहीं होने चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने सभी १९४ सदस्य देशों से अपील की है कि वह अपने-अपने देश में दूषित दवाईयों के खिलाफ कार्रवाई करें, ताकि ऐसी और मौतों को रोका जा सके।
आपको बता दें कि उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते माह अपने एक बयान में बताया था कि समरकंद में कम से कम १८ बच्चों की मौत खांसी सीरप पीने की वजह से हुई है। उज्बेकिस्तान का आरोप था कि भारत में निर्मित खांसी सीरप पीने से बच्चों की मौत हुई है। भारतीय कंपनी की इस दवाई में कथित तौर पर एथीलीन ग्लाइकोल की मौजूदगी थी। अफ्रीकी देश जांबिया में भी बीते दिनों कफ सीरप पीने से ७० बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। इन कफ सीरप में भी एथीलीन ग्लाइकोल और डाइ एथीलीन ग्लाइकोल पाए गए थे।
डब्लूएचओ ने जारी किए ये अलर्ट
डब्लूएचओ ने कहा कि अपने-अपने बाजार से ऐसी दवाईयों के सर्कुलेशन को रोकें, जिनमें जहरीले तत्व हैं और जो मौत का कारण बन सकते हैं।
डब्लूएचओ ने कहा है कि बाजार में मिलने वाले सभी मेडिकल उत्पाद, किसी सक्षम अथॉरिटी से अप्रूव होने चाहिए और उनके पास ऑथराइज्ड लाइसेंस भी होना चाहिए।
सभी सदस्य देशों को अपने अपने देश में दवाईयों की मैन्यूफैक्चरिंग साइट्स पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से जांच के प्रावधान करने चाहिए।
डब्लूएचओ के अनुसार, मेडिकल उत्पादों के मार्केट सर्विलांस की सुविधा होनी चाहिए। इसमें अनौपचारिक बाजार भी शामिल है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि खराब दवाईयों के मैन्यूफैक्चर और डिस्ट्रिब्यूटरों से निपटने के लिए देशों में पर्याप्त कानून होने चाहिए।

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