सोशल मीडिया के इस युद्ध में गंभीर से गंभीर किसी समस्या के बारे में सच जानना कितना कठिन हो गया है, उसकी ताजा मिसाल प्राकृतिक गैस की सप्लाई की रूसी पाइपलाइन नॉर्ड स्ट्रीम १ और नॉर्ड स्ट्रीम २ में हुई कथित तोडफ़ोड़ है। चूंकि पाइपलाइन में लीक से यूरोप में गैस संकट और गहरा गया है, इसलिए ये मुद्दा दुनिया भर गरम है। विश्व सोशल मीडिया पर इसको लेकर दो अलग नैरेटिव प्रचलित हुए हैं। एक में शक जताया गया है कि ये काम रूस का है, जो गैस संकट को बढ़ा कर यूरोप को झुकाना चाहता है। लेकिन इसके विरोध में तर्क यह दिया गया है कि आखिर रूस अपनी ही पाइपलाइन को क्षतिग्रस्त क्यों करेगा। अगर यूरोप को परेशान करने के लिए यह तरीका उसे समझ में आया, तो वह नॉर्वे से आने वाली पाइपलाइन को क्षतिग्रस्त कर सकता था।
दूसरे नैरेटिव में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के एक भाषण का हिस्सा वायरल किया गया है। इसमें उन्होंने कहा था कि अगर युद्ध हुआ, तो अमेरिका नॉर्ड स्ट्रीम-२ से गैस का प्रवाह रोक देगा। यह पूछने पर कि वह ऐसा कैसे करेगा, बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका के पास इसका तरीका है। अमेरिकी एजेंसी सीआईए ने पिछले हफ्ते ही जर्मनी को पाइपलाइन में तोडफ़ोड़ की चेतावनी दी थी। इसको लेकर भी सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है।
गौरतलब है कि कथित तोडफ़ोड़ के कारण बाल्टिक सागर में स्वीडन और डेनमार्क के पास गैस रिसाव की खबरें आई हैं। ये दोनों पाइपलाइनें रूस ने यूरोप को गैस की सप्लाई के लिये बनाई थी। नॉर्ड स्ट्रीम १ यूरोप को बड़ी मात्रा में गैस की सप्लाई कर रहा था, लेकिन अगस्त से इसे बंद कर दिया गया। नॉर्ड स्ट्रीम २ बन कर तैयार था, लेकिन अमेरिकी दबाव में जर्मनी ने इससे गैस प्राप्त करने का रूस से हुआ करार तोड़ दिया। ये दोनों पाइपलाइनें रूस से यूरोप को ऊर्जा की सप्लाई के केंद्र में हैं और यूक्रेन पर हमला होने के बाद से ही सबका ध्यान इनकी तरफ है। यूरोपीय सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जान बूझ कर तोडफ़ोड़ के कुछ संकेत मिले हैं। इसीलिए तोडफ़ोड़ की चर्चा तेज हुई है।



