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जलवायु परिवर्तन की मार झेलती दुनिया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की इस राय से सहज ही सहमत हुआ जा सकता है कि उनके देश पर जलवायु परिवर्तन की मार पड़ी है। दरअसल, शरीफ के यह कहने के पहले अनेक जलवायु विशेषज्ञों ने यही राय जताई थी। विशेषज्ञों ने इस वर्ष यूरोप और चीन में पड़ी असाधारण गर्मी और पाकिस्तान की घटनाओं को उचित ही जोड़ कर देखा है। बल्कि कुछ खबरों में बताया गया है कि हिमालय के ग्लेशियर पिघलने के कारण पाकिस्तान में बहने वाली नदियों में अचानक असामान्य पानी आ गया। पाकिस्तान का लगभग एक तिहाई हिस्सा हफ्ते भर से डूबा हुआ है। पाकिस्तान सरकार ने अनुमान लगाया है कि बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या तीन करोड़ ३० लाख तक है। १,१०० से ज्यादा मौतों की पुष्टि हो चुकी है। अभी भी कई नदियों का पानी खतरे के निशान के ऊपर है। शहबाज शरीफ ने इस विसंगति की तरफ की ध्यान खींचा है कि दुनिया भर में हुए कार्बन उत्सर्जन में पाकिस्तान का हिस्सा सिर्फ एक फीसदी है, जबकि जिन देशों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा मार पडऩे की आशंका है, उस सूची में पाकिस्तान आठवें नंबर पर है।
इस आशंका की पहली झलक फिलहाल दुनिया को देखने को मिली है। इस प्रकरण का सबसे अहम पहलू ही यही है कि जिन देशों ने कार्बन उत्सर्जन के जरिए ऊंचा जीवन स्तर हासिल किया, वे अब जलवायु बचाने के लिए कोई त्याग करने को तैयार नहीं हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन की मार उन पर भी पड़ रही है, लेकिन ज्यादा आबादी वाले देश इसके अधिक शिकार बनेंगे, ये बात रोज अधिक स्पष्ट होती जा रही है। शहबाज शरीफ ने ये बेलाग बयानी की- ‘आज हम शिकार बने हैं, कल किसी और की बारी आएगी। जलवायु परिवर्तन का खतरा वास्तविक और गंभीर है, जो हम सब पर मंडरा रहा है।’ यही समझाने की कोशिश में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटारेस ने एक उचित पहल की है। वे निजी तौर पर पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। गुटारेस ने पाकिस्तान में आई तबाही को ‘जलवायु विनाश’ कहा है। ये बात अब सारी दुनिया को गंभीरता से समझ लेनी चाहिए। आखिर जलवायु परिवर्तन का मानवता के हमारे दरवाजे तक आ पहुंचा है।

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