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महंगाई, बेरोजगारी और जातीय जनगणना

बड़ी विपक्षी पार्टियों की तुलना में राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव बेहतर रणनीति पर काम करते दिख रहे हैं। संभवत: अच्छे सलाहकारों और मनोज झा जैसे पढ़े-लिखे सांसद की वजह से ऐसा हो लेकिन बताया जा रहा है कि वे राजनीति में मोदी को निशाना बनाने की बजाय मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं। उनका सबसे पहला मुद्दा जातीय जनगणना होने वाला है। जानकार सूत्रों के मुताबिक बिहार में जल्दी से जल्दी जातीय जनगणना करा उसके आंकड़े प्रकाशित किए जाएंगे। एक बार जातियों की संख्या सामने आने और आर्थिक सामाजिक स्थिति के आंकड़े आने के बाद तस्वीर और बदल जाएगी।
बिहार वैसे भी मंडल की राजनीति वाला प्रदेश है और नीतीश व तेजस्वी दोनों इस राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। जातीय जनगणना के आंकड़े उनके इस खेल को मजबूती देंगे। अगर विपक्ष की बाकी पार्टियां भी इस लाइन पर आगे बढ़ती हैं खास कर उत्तर प्रदेश में तो उसका फायदा हो सकता है। इसके अलावा महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा ऐसा है, जिस पर भाजपा भी बैकफुट पर है। बाकी मुद्दों पर विपक्ष खुद घिर जाएगा। लेकिन महंगाई और बेरोजगारी दो ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर भाजपा के पास जवाब नहीं है। अगर विपक्षी पार्टियां सामाजिक समीकरण ठीक करने के लिए जातीय जनगणना पर फोकस करती हैं और आम लोगों से जुड़े महंगाई व बेरोजगारी के मुद्दे उठा कर सरकार को घेरते हैं तो उसका ज्यादा फायदा होगा। लेकिन अगर मोदी को निजी तौर पर निशाना बनाते रहे तो वह बैकफायर कर जाएगा।

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