भारतीय जनता पार्टी ने पैगंबर मोहम्मद के संबंध में बयान देने के मामले में अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया। उनका समर्थन करने वाले दिल्ली के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल को भी पार्टी से निकाल दिया गया। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के पार्टी की कमान संभालने के बाद यह संभवत: पहला मौका है, जब भाजपा के समर्थकों का बड़ा वर्ग पार्टी के फैसले और सरकार के रुख से खुश नहीं है। सोशल मीडिया में भाजपा के इस फैसले का विरोध हो रहा है और कतर सहित अरब देशों के सामने भारत के ‘झुकने’ की भी आलोचना हो रही है। तेल की आसमान छूती कीमतों को भी सही ठहराने वाले समर्थक इस मामले में पार्टी के साथ नहीं हैं।
तभी यह भी कहा जा रहा है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जिन्ना मोमेंट साबित हो सकता है। गौरतलब है कि लालकृष्ण आडवाणी भाजपा अध्यक्ष रहते पाकिस्तान के दौरे पर गए थे और वहां जिन्ना की मज़ार पर जाकर उन्होंने जिन्ना की तारीफ़ की थी। उसके बाद पार्टी और संघ दोनों जगह उनका भारी विरोध हुआ और अंतत: उनको अध्यक्ष पद छोडऩा पड़ा। बाद में वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर चुनाव लड़े लेकिन तब तक वे अपनी चमक गंवा बैठे थे। उसी से नरेंद्र मोदी के लिए भाजपा में शीर्ष पर मौका बना।
पैगंबर मोहम्मद पर दिए बयान के बाद अरब देशों के दबाव में नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को हटाने के फैसले की तुलना आडवाणी और जिन्ना प्रकरण से हो रही है।
सोशल मीडिया में भाजपा के समर्थक नूपुर शर्मा के साथ खड़े हैं और अरब देशों के ख़िलाफ़ मुहिम चला रहे हैं। संभव है कि इसके पीछे भी कोई डिज़ाइन हो क्योंकि इस पूरे मामले की जिन्ना प्रकरण से तुलना करने वाले इसे दूसरी दिशा में ले जा रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह आडवाणी की जिन्ना वाली गलती से मोदी के लिए मौका बना उसी तरह नूपुर शर्मा वाली गलती से योगी आदित्यनाथ के लिए मौका बनेगा। मोदी-योगी करने वाली एक बड़ी जमात इस विमर्श को आगे बढ़ा रही है।
दोनों की तुलना करके बताया जा रहा है कि एक तरफ केंद्र सरकार है, जिसने अरब देशों के सामने घुटने टेक दिए और अपने ही प्रवक्ताओं पर कार्रवाई कर दी तो दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ हैं, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान के खिलाफ कानपुर में हिंसा करने वालों को सबक सिखा दिया। गौरतलब है कि कानपुर में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने बहुत सख़्त कार्रवाई की और सभी मुख्य आरोपियों को दो दिन के भीतर गिरफ़्तार कर लिया। उनकी साजिश का पर्दाफाश भी किया और हिंसा में शामिल सभी लोगों की पहचान कर ली है। सबकी फोटो सार्वजनिक की जा रही हैं और बुलडोजर चलाने की तैयारी हो रही है। तभी संभव है कि यह विमर्श प्रायोजित हो।
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