नई दिल्ली ,२७ मई । निर्यात पर प्रतिबंध के बाद भारत पहले चरण में 1 मिलियन टन गेहूं के निर्यात को मंजूरी दे सकता है। बता दें कि यह मंजूरी ऐसे समय में दी जा सकती है जब भारत ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगाया हुआ है। सरकार ने १३ मई को मुद्रास्फीति में तेजी के बीच गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन उन शिपमेंट को जाने की छूट दी गई थी जिन्हें प्रतिबंध लगाने से पहले इजाजत मिल गई थी या जहां लेटर ऑफ क्रेडिट यानी साख पत्र के जरिए अनुबंध किया गया था।
इस छूट के तहत और भी शिपमेंट के लिए मंजूरी मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जितने भी गेहूं के निर्यात की मंजूरी दी जाएगी उसमें से कम से कम आधी मात्रा बांग्लादेश जा सकती है। यह शिपमेंट मुख्य रूप से रेल और सड़क मार्ग से जाएगी। सूत्रों ने कहा कि इस फैसले की घोषणा वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के दावोस से लौटने के बाद होने की उम्मीद है, जहां वह विश्व आर्थिक मंच में भाग ले रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने १३ मई या उससे पहले जारी एलसी (लेटर ऑफ क्रेडिट) की जांच के बाद खाद्य मंत्रालय के समक्ष एक फाइल रखी है। उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि कई कंपनियों ने बैक-डेटेड एलसी खोले थे, और डीजीएफटी ने ऐसे आवेदनों को हटा दिया है और वाणिज्य मंत्री द्वारा अनुमोदित किए जाने वाले वास्तविक एलसी की एक सूची तैयार की है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत का गेहूं निर्यात विश्व व्यापार के मुकाबले एक प्रतिशत से भी कम है और खाद्यान्न के निर्यात को रोकने के सरकार के फैसले का वैश्विक बाजारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत कमजोर देशों और अपने पड़ोसियों को निर्यात की अनुमति देना जारी रखेगा। मंत्री ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय गेहूं बाजार में ‘कभी भी’ एक पारंपरिक भागीदार नहीं था।
