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अटल बिहारी वाजपेयी: सुशासन के पर्याय

सुशासन ऐसी धरोहर है जिसे भारत की प्राचीन संस्कृति और लोकाचार से आत्मसात किया गया है। बौद्ध धर्म के गण संघ, भगवान बासवेश्वकर द्वारा 11वीं शताब्दी ईस्वी में स्थापित अनुभव मंडप, चाणक्य के अर्थशास्त्र, सिधुं घाटी सभ्यता के दौरान नगर योजना, मौर्य सम्राट अशोक की धरोहर के और अन्य माध्यमों से पुन: संचित प्रजातांत्रिक मूल्य बेहतर सुशासन हेतु विरासत में मिले ज्ञान भंडार हैं। श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को मनाने हेतु सुशासन दिवस के अवसर पर, यह अत्यावश्यक है कि हम स्वतंत्र भारत में सर्वोत्तम सुशासन उपायों को संस्थागत बनाने में उनकी असाधारण भूमिका पर प्रकाश डालें और उसे आज के संदर्भ में ग्रहण करें।
स्वतंत्रता के बाद, सुशासन का मुद्दा शासन संबंधी सुधारों का केन्द्र बिन्दु रहा, परन्तु ऐसा केवल बातचीत के स्तर पर ही होता रहा। संविधान सभा के वाद-विवाद में या योजना आयोग जैसी संस्थाओं में, विधिवत रूप से तैयार की गई नीति परिचर्चा केवल कागजों में ही सिमटी रही और इन्हें कार्यान्वित करने हेतु कारगर उपाय नहीं किए जा सके। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के दूरदर्शी नेतृत्व और राजनैतिक कौशल के साथ, हमारा देश ऐतिहासिक सुशासन प्रयासों का साक्षी बना जिनसे जनता के जीवन में समृद्धि आई।
लोक सभा सदस्य के रूप में दस कार्यकाल और राज्य सभा सदस्य के रूप में दो कार्यकाल पूरे करने वाले श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सांसद के रूप में अपनी कार्यावधि के दौरान सुशासन की बारीकियों पर प्रकाश डाला। नेता, प्रतिपक्ष के रूप में उनकी तर्कसंगत दलीलों और रचनात्मक समालोचनाओं में कल्याण-केन्द्रित सुशासन तंत्र के लिए प्रेरित करने का बल था। प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उनकी जनोन्मुखी पहलें नये भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित हुईं। उनके द्वारा किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रारंभ किए गए किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के द्वारा अवसरंचनात्म्क संवर्धन, नदियों को आपस में जोडऩे तथा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम की अवधारणा तैयार करना, सर्व शिक्षा अभियान के माध्य्म से शैक्षिक सुधार, पृथक जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन आदि ऐसे कुछ उपाय हैं जिन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग को प्रभावित किया। अर्द्ध-न्यायिक केन्द्रीय विद्युत विनियामक आयोग की स्थापना की गई और विद्युत क्षेत्र में वर्षों पुराने विद्युत अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि विनियामक रूपरेखा में सुधार किया जा सके।
मई, 1998 में, पोखरण, राजस्थान में उनकी राष्ट्रीय शासन कार्यसूची के भाग के रूप में किए गए परमाणु परीक्षणों के कारण भारत का नाम परमाणु शक्ति संपन्न देशों में शामिल हो गया। कश्मीर की जटिल समस्या का समाधान करने के लिए वाजपेयी जी के मानवता, शांति और कश्मीरी लोगों के आत्मसम्मान को कायम रखने हेतु प्रसिद्ध सिद्धांत ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत‘ में उनकी लोकप्रिय बौद्धिकता प्रतिबिंबित होती है। विदेश नीति से संबंधित उनके ये विचार कि ‘आप मित्र बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं‘, सभी मंचों पर भागीदारी का निरन्तर स्रोत रहे हैं। मां भारती की रक्षा में अपने प्राणों की आहूति देने वाले हमारे वीर सैनिकों के पार्थिव शव उनके परिवारजनों को सौंपने का निर्णय भी अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार द्वारा किया गया ताकि मातृभूमि की रक्षा में अपना बलिदान देने वाले शहीदों का अंतिम संस्कार उनके परिवारजनों के द्वारा सम्मानपूर्वक किया जा सके। अटल जी, आपसी सामंजस्य में विश्वास रखने वाले यथार्थवादी राजनेता थे और यह तथ्य इस बात से प्रकट होता है कि वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में से शांतिपूर्ण रूप से क्रमश: छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड नामक तीन नए राज्यों की स्थापना की गई। यह सरकार को जनता के निकट ले जाकर सुशासन स्थापित करने का एक सुविचारित प्रयास था।
वह डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के विचारों की भविष्योन्मुखी अंतर्दृष्टि से अत्यंत प्रभावित थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी और लाल कृष्ण आडवाणी जी के प्रयास से ही वी. पी. सिंह सरकार ने भाजपा के समर्थन से डॉ. भीमराव अम्बेडकर को 31 मार्च, 1990 को भारत रत्न से सम्मानित किया। अटल बिहारी वाजपेयी जी की इच्छानुसार दिल्ली स्थित 26 अलीपुर रोड, जहां सिरोही, राजस्थान के महाराजा ने डॉ. अम्बेडकर को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा (1951) देने के पश्चात रहने के लिए आमंत्रित किया था, को संग्रहालय के तौर पर विकसित करने की …

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