नई दिल्ली,16 अगस्त। देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की ओर देश ने एक बड़ा कदम उठाया है। रविवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है। देश के कार्बन मुक्त ईंधन की तरफ बढ़ने के साथ उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी की कंपनियों से लेकर सरकार के स्वामित्व वाली पेट्रोलियम इकाई इंडियन ऑयल और विद्युत उत्पादक एनटीपीसी जैसी भारतीय कंपनियों ने हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में अपनाने की महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की है। हाइड्रोजन दुनिया की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए चर्चा के केंद्र में है। ऊर्जा का सबसे स्वच्छ रूप होने के कारण, इसे प्राकृतिक गैस, बायोमास, और नवीकरणीय स्रोत जैसे सौर एवं पवन ऊर्जा जैसे विभिन्न संसाधनों से उत्पादित किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल कारों में, घरों में, पोर्टेबल बिजली के लिए और कई अन्य चीजों में किया जा सकता है। निस्संदेह, दुनिया के अन्य स्थानों की तरह भारत में भी इसका महत्व बढ़ रहा है क्योंकि भारत अपनी विशाल आबादी तथा क्षेत्रफल के चलते ऊर्जा का एक बड़ा बाजार है। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों तथा देश में सीमित जीवाश्म इंधन की उपलब्धता के चलते देश का थिंक टैंक विभिन्न वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर लंबे समय से विचार कर रहा है।
आपको बता दें कि मिशन की घोषणा पहली बार फरवरी में चालू वित्त वर्ष के केंद्रीय बजट में की गई थी और तब से कंपनियां एक के बाद एक परियोजनाओं की घोषणा कर रही हैं। हालांकि न तो कंपनियों की घोषणाओं में और न ही रविवार को मोदी के संबोधन में उत्पादन या क्षमता के लक्ष्यों के बारे में कुछ कहा गया है।
आपको बता दें कि परिवहन क्षेत्र के अलावा, हाइड्रोजन का कई क्षेत्रों जैसे कि रसायन, लोहा और इस्पात, हीटिंग और बिजली में इस्तेमाल किया सकता है।
