किच्छा (ऊधमसिंह नगर)। पिपलिया गांव में बीते दिनों झोपड़ी में आग लगने से जलकर मरा बताए जा रहे साधु ने शनिवार को सशरीर उपस्थित होकर पुलिस को हैरत में डाल दिया। अखबारों में अपनी मौत की खबर पढ़कर कोतवाली पहुंचे साधु उमाशंकर ने बताया कि वह तो दो-तीन महीने से इस गांव में रह ही नहीं रहे थे। ऐसे में झोपड़ी में जलकर मरा व्यक्ति कौन था, यह गुत्थी सुलझाना पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। पिपलिया गांव के समीप एक कॉलोनी में मंदिर के पास बनी एक झोपड़ी में आग लगने की सूचना पर बृहस्पतिवार रात पुलिस मौके पर पहुंची तो झोपड़ी के अंदर से एक शव जली अवस्था में मिला।
पूछताछ में लोगों ने झोपड़ी में उमाशंकर (60) नामक साधु के रहने की बात बताई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उमाशंकर के नाम से पोस्टमार्टम करवा दिया। शुक्रवार देर शाम ग्रामीणों ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। अखबारों में शनिवार सुबह अपनी मौत की खबर पढ़कर कोतवाली पहुंचे साधु उमाशंकर कोतवाल के मुखातिब होकर बोले, साहब! मैं साधु उमाशंकर हूं। मैं मरा नहीं जिंदा हूं। उमाशंकर ने पत्रकारों को बताया कि वह दो-तीन माह से यहां रह ही नहीं रह रहे थे। अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए यूपी के बलिया गए हुए थे और इसके बाद कुंभ जाने के लिए रुपये का इंतजाम करने के लिए गदरपुर (ऊधमसिंह नगर) में भिक्षा मांग रहे थे। जिस इनसान को मरा समझकर पोस्टमार्टम तक करा दिया उसे जिंदा देख पुलिस वाले दंग रह गए।
पुलिस के सामने अब बड़ा सवाल है कि झोपड़ी में जिस व्यक्ति का जला हुआ शव मिला वह कौन था। कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी को मारकर झोपड़ी में फेंककर आग लगा दी गई हो। कलकत्ता फार्म चौकी प्रभारी लक्ष्मण सिंह जगवाण ने बताया कि पुलिस ने जो भी कार्रवाई की, वह ग्रामीणों से पूछताछ के बाद उनकी तहरीर पर ही की। इसीलिए पोस्टमार्टम के बाद शव भी ग्रामीणों के सुपुर्द कर दिया गया था और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार भी कर दिया है।
