प्रयागराज। केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि वापस मांगने की याचिका के मध्य ही विश्व हिंदू परिषद के तत्वाधान में प्रयागराज महाकुंभ में दो दिवसीय विराट धर्म संसद का भी आयोजन आज से होने जा रहा है। विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि धर्म संसद में सरसंघ चालक मोहन भागवत सहित देश-विदेश के संत-धर्माचार्य शामिल हो रहे हैं। राजनीतिक हस्तियां धर्म संसद में शामिल नहीं होगी। एक फरवरी को राममंदिर से संबंधित प्रस्ताव धर्म संसद में पेश किया जाएगा। राममंदिर मुद्दे पर संत जो निर्णय लेंगे उसी अनुसार कार्य किया जाएगा रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य महंत कमलनयन दास ने कहा कि धर्मसंसद राममंदिर निर्माण की दिशा तय करने वाला होगा। राममंदिर को लेकर संत समाज अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकता।
वहीं अयोध्या में जल्द राम मंदिर निर्माण शुरू कराने को लेकर अड़ी विश्व हिंदू परिषद को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का समर्थन मिलता दिख रहा है। यहां पहुंचे आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत और विहिप पदाधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद यह तय माना जा रहा है कि विहिप की आज से शुरू हो रही दो दिवसीय धर्म संसद में ही मंदिर निर्माण की तारीख की घोषणा कर दी जाएगी। विहिप की इस धर्म संसद पर सरकार के साथ-साथ पूरे देश की निगाह लगी हुई है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई बार-बार टलने पर संतों के साथ-साथ विहिप ने भी नाराजगी जाहिर की थी। विहिप ने साफ कह दिया था कि इस मामले में अब वह देरी बर्दाश्त नहीं करेगी। मंदिर निर्माण को लेकर संघ को भी अपने साथ जोड़ने के उद्देश्य से कुंभनगर में बृहस्पतिवार से शुरू हो रही विहिप की धर्म संसद में शामिल होने के लिए सरसंघ चालक मोहन भागवत को न्योता दिया गया था। लेकिन भागवत पूर्व में निर्धारित तिथि से एक दिन पहले ही कुंभनगर पहुंच गए। विहिप के शिविर में भागवत का आगमन हालांकि गोपनीय रखा गया था। उनके आते ही शिविर में सबसे पहले शाखा लगाई गई। बाद भागवत ने दोपहर में आरएसएस और विहिप पदाधिकारियों के साथ धर्म संसद के संबंध में बैठक की। उसके इसके बाद देर शाम एक बार फिर संघ व विहिप की कोर कमेटी की बैठक हुई।
सूत्रों के मुताबिक दोनों बैठकों में हुए मंथन के बाद यही निष्कर्ष निकला कि राम मंदिर निर्माण पर जनभावनाओं को देखते हुए अब इसकी तारीख तय करने में देरी न की जाए। मंदिर निर्माण की तारीख घोषित करने का यही बेहतर समय है। इसलिए धर्म संसद में ही संतों के माध्यम से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तिथि की घोषणा कर दी जाए। सरसंघचालक के आगमन से पहले ही संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी प्रयागराज में मौजूद थे। ये लोग धर्म संसद को लेकर संत समाज और आम लोगों की भावनाओं की नब्ज टटोल रहे थे। बैठक में इन पदाधिकारियों ने संतों व आम लोगों के फीडबैक से सरसंघचालक को अवगत कराया। राम मंदिर निर्माण की तारीख तय करने पर सहमति बनी। इसके बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने का कार्यक्रम तय हुआ है।
